मध्य प्रदेश

ओंकारेश्वर में नर्मदा पर हरियाणा की कंपनी बनाएगी पुल

आदिशंकराचार्य के प्रतिमा स्थल तक पहुंच मार्ग की राह जल्द होगी आसान, शीघ्र शुरू होगा रुका काम

भोपाल। ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थल तक राह जल्द आसान होगी। नर्मदा नदी पर एक साल से बंद पुल के निर्माण का टेंडर दोबारा फाइनल हो गया। हरियाणा की कंस्ट्रक्शन कंपनी पुल का निर्माण करेंगी। टेंडर की प्रक्रिया पूरी होते ही पीडब्ल्यूडी सेतु निर्माण शाखा ने एलओसी लेटर ऑफ सर्टिफिकेट जारी कर दिया है। एग्रीमेंट के बाद निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। आदि शंकराचार्य के प्रतिमा स्थल तक पहुंचने के लिए नर्मदा नदी पर पुल निर्माणाधीन है। एक साल पहले से पुल का निर्माण कंस्ट्रक्शन कंपनी ने जीएसटी नहीं मिलने से निर्माण से हाथ खड़े कर लिए। एक साल से अधूरे पुल के निर्माण के लिए टेंडर काल किया। अब हरियाणा की कंपनी निर्माण के लिए आगे आई और प्रक्रिया पूरी होने के बाद टेंडर जारी कर दिया गया है।

ओंकारेश्वर में पुल निर्माण को पूर्ण करने विभाग ने 29.69 करोड़ का टेंडर काल किया। कंस्ट्रक्शन कंपनियों ने निर्धारित लागत पर टेंडर नहीं डाला। दूसरी बार टेंडर काल पर शर्मा कंस्ट्रक्शन कंपनी ने 20 प्रतिशत अधिक लागत पर टेंडर डाला। विभाग ने दूसरी बार भी टेंडर निरस्त कर दिया। तीसरी बार हरियाणा की विद्या कंस्ट्रक्शन कंपनी ने 1.99 प्रतिशत अधिक पर टेंडर डाला। विभाग ने टेंडर फाइनल कर दिया। निर्धारित लागत से 59 लाख रुपए अधिक पर टेंडर हुआ है।

11 स्लैब, 7 पिलर का होगा निर्माण

नर्मदा नदी पर 400 मीटर लंबा और 8.40 मीटर चौड़ा यानी 27.50 फीट निर्माण होना है। 15 पिलर पर पुल नदी के बीच खड़ा होना है। इसकी लागत 46.34 करोड़ रुपए है। पांच साल पहले पीडब्ल्यूडी ने ठेका शर्मा कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया।

बेसिक निर्माण पूर्ण, पेडस्टल का कार्य शुरू

संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा की समीक्षा के दौरान निर्माण एजेंसी के इंजीनियर ने जानकारी दी है कि ओंकार पर्वत पर प्रतिमा स्थल पर बेसिक कार्य पूर्ण हो गया है। संभागायुक्त ने नए बस स्टैंड से नए घाट तक एप्रोच रोड कार्य, रपटा से मूर्ति स्थल तक पौधरोपण का भी निर्देश दिए हैं।

ओंकारेश्वर में स्थापित की जाएगी आदि शंकराचार्य की सबसे ऊंची प्रतिमा

उज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद अब खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी। यहां 108 फीट की मूर्ति की स्थापना को लेकर तेजी से काम चल रहा है। ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य के बाल स्वरूप की मूर्ति लगेगी। प्रदेश की 23 हजार पंचायतों से जुटाए कॉपर, टिन, जिंक व अन्य धातुओं के मिश्रण से यह मूर्ति बनेगी। 100 टन की यह मूर्ति 50 फीट ऊंचे भव्य और कलात्मक आधार पर स्थापित की जाएगी। मूर्ति का मुख दक्षिण दिशा में यानि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और नर्मदा की ओर रहेगा।

जमीन समतलीकरण का काम लगभग पूरा

उज्जैन में महाकाल लोक के बाद अब ओंकारेश्वर में 28 हेक्टेयर में अद्वैत वेदांत पीठ बनेगी। ओंकार पर्वत पर मूर्ति लगाने के लिए समतलीकरण का काम लगभग पूरा हाे गया है। मूर्ति के लिए प्रसिद्ध चित्रकार वासुदेव कामत ने 11 साल के शंकराचार्य के बाल स्वरूप का चित्र तैयार किया है। इसके आधार पर मूर्ति का निर्माण अभी पहले चरण में है। जाने-माने शिल्पकार भगवान रामपुरे उनके मार्गदर्शन में मूर्ति तैयार कर रहे हैं। श्रद्धालु लिफ्ट और सीढ़ियों (दोनों माध्यम) से दर्शन के लिए आदि गुरु के सम्मुख पहुंच सकेंगे। ओंकार पर्वत पर मूर्ति लगाने के लिए समतलीकरण का काम लगभग पूरा हो गया है। इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए दो हजार करोड़ रुपए के खर्च की स्वीकृति प्रदेश सरकार ने दी है। ओंकारेश्वर में ‘एकात्मता का वैश्विक केंद्र’ भी बन रहा है।

पहले 3.5 फीट, फिर 11 फीट, आखिरी में बनेगी 108 फीट ऊंची मूर्ति

ओंकारेश्वर में पहले चरण में साढ़े तीन फीट की मूर्ति प्लास्टिसिन क्ले से बन रही है। दूसरे चरण में यह 11 फीट की बनेगी। इन दोनों मूर्तियों के बनने के बाद अष्टधातु से 108 फीट की मूर्ति बनेगी। पहले साढ़े तीन और 11 फीट की मूर्ति बनाने का उद्देश्य यह है कि जब 108 फीट की मूर्ति बनाई जाए तो उसमें किसी भी तरह की कमी न रहे। मूर्ति पर प्रो यूरो कलर होने से बारिश और धूप का कोई प्रभाव नहीं होगा। लगभग 28 हेक्टेयर जमीन में बन रहे इस स्मारक का लोकार्पण अगले साल सितंबर तक करने की योजना है। मूर्ति के अलावा इसके विशाल परिसर को एक नॉलेज सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा। आदि शंकराचार्य की साढ़े तीन फीट की यह मूर्ति मुंबई में वासुदेव कामत द्वारा बनाई तस्वीर को देखकर मूर्तिकार भगवान रामपुरे बना रहे हैं। यह मूर्ति दो सप्ताह में तैयार होगी। इसमें रह गई कमियां दूर करने के लिए 11 फीट की मूर्ति बनाई जाएगी। इसके बाद 11 फीट की मूर्ति को एनलार्ज करके अष्टधातु की 108 फीट की मूर्ति तैयार होगी।

लेजर लाइट, वाटर एंड साउंड शो, हाईस्क्रीन थियेटर भी रहेगा

मूर्ति के अलावा यहां शंकराचार्य संग्रहालय, आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान, आवासीय परिसर (शंकर निलयम), परियोजना सूचना केंद्र, अद्वैत वन तथा अभय घाट, संन्यास मंदिर एवं गुफा मंदिर का जीर्णोद्धार व विकास किया जाएगा। हाईस्क्रीन थियेटर, लेजर लाइट वाटर एंड साउंड शो, नौका विहार, विविध भाषाओं में मेडिटेशन सेंटर भी रहेगा। इसके अलावा धर्म, आध्यात्म से जुड़ी गतिविधियां भी होंगी।

प्रतिमा की लागत 40 करोड़ बढ़ी

ओंकारेश्वर में आचार्य शंकर की 108 फीट ऊंची बहु-धातु की प्रतिमा की लागत 40 करोड़ रुपए बढ़ गई है। प्रोजेक्ट को लेकर पहले 158.50 करोड़ रुपए की मंजूरी थी, अब बढ़कर यह 198.25 करोड़ रुपए होने वाली है। कैबिनेट बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई। प्रोजेक्ट स्क्रीनिंग कमेटी ने 3 अगस्त 2022 को नई रिवाइज राशि पर स्वीकृति दे दी थी। साथ ही कैबिनेट भेजे जाने के लिए कहा था। इसी के बाद यह प्रस्ताव कैबिनेट में लाया गया। प्रतिमा में आंशिक बदलाव भी किए गए हैं। कॉपर, जिंक और लेड का अनुपात 88:8:4 के स्थान पर अधिक मजबूती देने के लिए कॉपर, जिंक, लेड और टीन का अनुपात अब 85:5:5:5 रखने का निर्णय लिया गया है। प्रोजेक्ट के पास एक सूचना केंद्र बनेगा, जिसमें एकात्मता की प्रतिमा की प्रतिकृति के निर्माण की लागत भी इसी में शामिल है।

ओंकारेश्वर को विश्व पर्यटन मंच पर उकेरने का प्रयास

आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के न्यासी सचिव शिवशेखर शुक्ला के अनुसार ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्यजी के अद्वैत सिद्धांत से पूरा विश्व प्रेरणा ले, इसके लिए वहां एक महत्वाकांक्षी परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस परियोजना के मूर्त रूप लेने के बाद ओंकारेश्वर का महत्व कई गुना बढ़ जाएगा। इस क्षेत्र का धार्मिक पर्यटन देश ही नहीं पूरी दुनिया में सर्वोच्च शिखर पर पहुंचेगा। मप्र शासन इसके लिए सजग है। उज्जैन, इंदौर, ओंकारेश्वर, महेश्वर, उज्जैन, मांडू और बुरहानपुर को भी टूरिस्ट सर्किट से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इसे विश्व पर्यटन मंच पर उकेरने के लिए एक बहुत बड़ी रणनीति के तहत काम किया जा रहा है।

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