मध्य प्रदेश

उप चुनाव : जोबट में भाजपा ने कांग्रेस को दिया जोर का झटका…

भोपाल। प्रदेश में होने वाले तीन विधानसभा और एक लोकसभा उपचुनाव को लेकर दोनों ही दल अंतिम समय में अपने प्रत्याशी घोषित करेंगे। हालांकि, अलीराजपुर जिले के जोबट में भाजपा ने आधी रात को पार्टी ज्वाइन करने वाले पुराने कांग्रेसी नेता विशाल रावत को टिकट देने की तैयारी कर ली है। रविवार को विशाल रावत का एक ऑडियो क्लिप भी वायरल हुआ है, जिसमें वह यह दावा कर रहे हैं कि भाजपा उन्हें टिकट देगी और मंत्री भी बनाएगी। ठीक इसी तरह भाजपा पृथ्वीपुर में भी समाजवादी पार्टी से आए शिशुपाल यादव को लड़ाने के मूड में है।

 

 

कांग्रेस को बीती रात भाजपा ने जोर का झटका दिया और तीन बार विधायक रहे सुलोचना रावत और उनके बेटे विशाल रावत को रात 12:30 बजे मुख्यमंत्री निवास में पार्टी ज्वाइन कराई। विशाल रावत युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ा और 32 हजार वोट हासिल किए थे। भाजपा उनके इसी व्यक्तिगत समर्थन को भुनाना चाहती है। हालांकि, भाजपा कार्यकर्ताओं से लेकर सोशल मीडिया तक में इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि जिस पार्टी के मध्यप्रदेश में डेढ़ करोड़ प्राथमिक सदस्य हों, उसे आदिवासी बहुल जिले में अपना कोई कार्यकर्ता विधानसभा उम्मीदवार के लिए नहीं मिल रहा है।

 

खंडवा में हर्ष सिंह चौहान के विरोध को देखते हुए पार्टी यहां कोई चौंकाने वाला नाम दे सकती है। हालांकि, चौहान और अर्चना चिटनिस की लड़ाई में ज्ञानेश्वर पाटिल को मौका मिल सकता है। एक दिन पहले खंडवा से दावेदार कृष्ण मुरारी मोघे समर्थकों ने दिवंगत सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्ष सिंह को टिकट देने का विरोध किया था। इसके बाद एक अन्य दावेदार पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस ने भोपाल में डेरा जमा लिया है। हर्ष सिंह की भोपाल से लेकर दिल्ली तक तमाम शिकायतें की गई है। भाजपा में यह सवाल भी उठाया जा रहा है कि आखिर पांच बार के सांसद रहने के बाद पार्टी को चौहान परिवार के अलावा कोई अन्य कार्यकर्ता क्यों नहीं मिल रहा है? कुछ नेताओं ने दबी जुबान में परिवारवाद का विरोध किया है। पार्टी में परिवारवाद का विरोध यदि तेज हुआ तो सतना जिले के रैगांव में स्वर्गीय जुगल किशोर बागरी के बेटे का टिकट भी खतरे में पड़ सकता है। यहां पार्टी जुगल किशोर के बेटे पुष्पराज और देवराज के अलावा सतनारायण बागरी और रानी बागरी के नामों पर भी विचार कर रही है। रानी का बेटा आईआरएस है और खुद जिला पंचायत सदस्य हैं। पृथ्वीपुर में भाजपा शिशुपाल यादव और गणेशी लाल नायक के नाम पर मंथन कर रही है। हालांकि,  कुछ दिन पहले सागर में हुए यादव-ब्राह्मण विवाद के बाद यहां समीकरण बदल गए हैं।

 

खंडवा में कांग्रेस अरुण यादव के नाम को अभी तक फाइनल नहीं कर पाई है। यहां निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा पार्टी के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। शेरा कांग्रेस में प्रदेश से लेकर दिल्ली तक यहां सवाल उठा कर आए हैं कि अरुण यादव लगातार दो लोकसभा चुनाव हार चुके हैं ऐसे में नए चेहरे को मौका दिया जाना चाहिए। टिकट घोषित नहीं होने और इसमें हो रही लेटलतीफी से दुखी अरुण यादव ने रविवार को सोशल मीडिया पर अपना दर्द एक शेर के जरिए बयां किया – उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद है शायद वक्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं, मेरी गई एक गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर, रूबरू होने पर सलाम किया करते हैं।

 

अरुण यादव नहीं लड़ेंगे खंडवा सीट से चुनाव, खुद ट्वीट कर दी जानकारी

कांग्रेस में खंडवा सीट पर प्रबल दावेदारी जताने वाले अरुण यादव ने अचानक कदम पीछे खींच लिए हैं. दिल्ली में पार्टी नेताओं से मुलाकात के बाद अरुण यादव ने उपचुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. कांग्रेस नेता अरुण यादव ने प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक को पत्र देकर पारिवारिक कारणों से खंडवा संसदीय क्षेत्र से अपनी उम्मीदवारी से इनकार कर दिया है. अरुण यादव ने देर रात ट्वीट कर कहा कि प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक से मुलाकात के दौरान उप चुनाव नहीं लड़ने की जानकारी दी है. अरुण यादव ने कहा कि पार्टी जिसे उम्मीदवार बनाएगी उसका पूर्ण सहयोग किया जाएगा.

 

कांग्रेस के उम्मीदवार को लेकर सस्पेंस गहराया

खंडवा सीट पर अब कांग्रेस के उम्मीदवार को लेकर सस्पेंस गहरा गया है. रविवार को कमलनाथ ने अपने निवास पर उपचुनाव को लेकर लगातार बैठक की. खंडवा सीट को लेकर भी लंबा मंथन चला है। कमलनाथ देर रात दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। बताया जा रहा है कि खंडवा समेत बाकी बची 2 विधानसभा सीटों के लिए दिल्ली में प्रत्याशी के नाम को लेकर मंथन होगा. उसके बाद पार्टी उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करेगी. खंडवा सीट पर अरुण यादव के चुनाव नहीं लड़ने के ऐलान के बाद पार्टी किसी नए चेहरे को अपना उम्मीदवार घोषित कर सकती है. निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा की पत्नी का भी नाम सर्वे रिपोर्ट में सामने आया है. कांग्रेस पार्टी सुरेंद्र सिंह शेरा की पत्नी या फिर किसी नए चेहरे को उपचुनाव के मैदान में उतार सकती है.

 

बीजेपी के लिए अच्छी खबर

खंडवा सीट पर अरुण यादव बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाले साबित हो रहे थे. अरुण यादव के उप चुनाव नहीं लड़ने के ऐलान पर बीजेपी की उपचुनाव में जीत आसान हो सकती है.

 

बहरहाल खंडवा लोकसभा सीट का चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा संदेश देने वाला है ऐसे में अरुण यादव का चुनाव नहीं लड़ने का फैसला कांग्रेस पार्टी को कितना भारी साबित होगा यह उपचुनाव के नतीजों के बाद ही पता चलेगा.

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