मध्य प्रदेश

सतपुड़ा की आग से 70 हजार कर्मचारियों की पेंशन-ग्रेच्युटी के लिए खड़ी हो गई नई मुश्किल

सतपुड़ा भवन की आग में जल गईं फाइलें, ई-फाइलिंग नहीं की, रेनोवेशन करते रहे

भोपाल। सतपुड़ा भवन में लगी आग भले ठंडी पड़ गई, लेकिन खुलासे गर्मी बनाए हुए हैं। प्रारंभिक पड़ताल में सामने आया है कि करीब आठ-नौ महीने पहले तमाम फाइलों को डिजिटल फॉर्मेट में लाने का काम करना था, लेकिन महकमे का पूरा ध्यान रेनोवेशन पर था। न ईओडब्ल्यू-लोकायुक्त से जुड़ी गड़बडिय़ों की फाइल कम्प्यूटर पर चढ़ पाई और न ही डॉक्टरों की विभागीय जांच की। यहां तक की 70 हजार कर्मचारियों की सर्विस बुक भी ऑनलाइन नहीं हुई।

अब सर्विस बुक के नहीं होने से कर्मचारियों-अधिकारियों के रिटायरमेंट के वक्त लीव इनकैशमेंट, ग्रेच्युटी और पेंशन में बड़ी दिक्कत आ सकती है। इधर, जांच कमेटी ने घटना के 48 घंटे बाद जांच के बिंदु तय कर दिए हैं। नमूने ले लिए गए हैं। शुक्रवार को सतपुड़ा का पूर्वी हिस्सा कामकाज के लिए खोल दिया जाएगा। जिस पश्चिमी हिस्से में आग लगी है, उसका अब स्ट्रक्चरल ऑडिट किया जाएगा। इस बीच गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा की जांच टीम ने बुधवार को भी बयान लिए और घटनास्थल का मुआयना किया। चौदह नमूने लिए। इन्हें स्टेट फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री सागर जांच के लिए भेजा गया है। अब तक 27 कर्मचारियों के बयान ले लिए गए हैं। टीम प्रारंभिक रिपोर्ट गुरुवार रात तक मुख्यमंत्री को सौंप देगी। पंद्रह दिन बाद डिटेल रिपोर्ट दी जाएगी। टीम ने तीसरी से छठी मंजिल का तीसरी बार दौरा किया गया।

डाटा ऑनलाइन होता, तब भी कुछ नहीं कर पाते

कर्मचारी मामलों के जानकार एलएन शर्मा के मुताबिक कुछ अधिकारी और कर्मचारी सेवानिवृत्ति पर पेंशन का कुछ हिस्सा बेच देते हैं। जिसे कम्युटेशन कहा जाता है। कम्यूटेशन, पेंशन, लीव इनकैशमेंट और ग्रेच्युटी की गणना के लिए सर्विस बुक का होना जरूरी है। इसका डाटा यदि ऑनलाइन होता तो भी सेवानिवृत्ति पर किए जाने वाले वेरिफिकेशन के लिए मैनुअली सर्विस बुक का होना जरूरी है।

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