लेखक की कलम से
महिमा …
जहां उनकी दृष्टी पडी़,
समुद्र द्वारका में परिवर्तित हो गया,
बंजर खांडवप्रस्थ जिनकी अनुकंपा से इंद्रप्रस्थ में विख्यात हो गया,
इनकी शिल्पकारिता की सुंदरता शब्दों से कैसे बँया करूँ?
विश्वकर्मा द्वारा निर्मित अलौकिक सौंदर्य इंद्र-सिंहासन,
जिसे पाने का प्रथम लक्ष्य असुर वंशजों का हो गया?
©लक्ष्मीकांत, पटना, बिहार