नई दिल्ली

कमजोर दिल के न जाएं प्रदेश की इन गलियों में, कहीं छन-छन तो कहीं खिंचे जाने का एहसास…

नई दिल्ली । भारत के मध्य में स्थित शानदार पर्यटन स्थलों में से एक है। मध्य प्रदेश को भारत के दिल की धड़कन भी कहा जाता है। क्योंकि यहां के पर्यटन स्थल पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। यहां झील, किले, महलों के अलावा आपको हिंदू और जैन मंदिरों की अद्भुत नक्काशी भी देखने को मिलेगी, लेकिन आप सोच भी नहीं सकते कि इतने सुंदर प्रदेश में कोई डरावनी जगहें भी हो सकती हैं।

सुनकर भले ही आपको हैरत हो, लेकिन मध्य प्रदेश में कुछ ऐसी भयानक जगह हैं, जिनके बारे में अगर आप जान लें, तो इन जगहों के आसपास भी भटकने का साहस नहीं कर पाएंगे। ये खौफनाक जगहें मध्य प्रदेश के अलग-अलग शहरों में हैं। इन जगहों से भूत, प्रेत, आत्माओं से जुड़ा कोई न कोई ऐसा किस्सा रहा है कि आज इन जगहों पर जाने से लोग घबराते हैं। कहीं भूतों की महफिल सजती हैं, तो कहीं लोगों की रोने की आवाजें, कहीं खिचें जाने का एहसास आज तक लोगों को डराती आ रही हैं। तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसी मध्यप्रदेश की खौफनाक जगह के बारे में बताएंगे, जिनके बारे में आपको शायद ही पता होगा।

MP की सबसे डरावनी जगह है डॉव इंडस्ट्रीयल कॉम्प्लेक्स

भोपाल की डॉव इंडस्ट्रीयल बिल्डिंग 1984 में हुई गैस त्रासदी की घटना से जुड़ी हुई है। इस बिल्डिंग को भोपाल शहर की सबसे खतरनाक जगह माना जाता है। लोग कहते हैं कि इस बिल्डिंग के आसपास आत्माओं का साया है। भोपाल गैस त्रासदी में हुई लोगों की मौत के बाद उनकी आत्मा यहां फंसी हुई है। कई लोगों ने डॉव इंडस्ट्रीयल बिल्डिंग में आत्माओं की उपस्थिति की पुष्टि की है, जबकि कुछ लोग यहां डरावनी घटनाओं की पुष्टि करते हैं। इसलिए इस बिल्डिंग को बंद कर दिया गया है और इसे भोपाल की सबसे डरावनी बिल्डिंग बताया जाता है।

  • भोपाल गैस त्रासदी एक रासायनिक आपदा थी जो 2 दिसंबर, 1984 की रात को भोपाल, मध्य प्रदेश, भारत में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के कीटनाशक संयंत्र में हुई थी।
  • संयंत्र से अत्यधिक जहरीली गैस मिथाइल आइसोसायनेट (एमआईसी) के रिसाव के कारण यह हादसा हुआ था।
  • रिसाव ने 15,000 लोगों की जान ले ली और 600,000 से अधिक घायल हो गए।
  • आपदा को इतिहास की सबसे खराब औद्योगिक आपदा माना जाता है।
  • टैंक से भारी मात्रा में जहरीली गैस बादल की तरह पूरे इलाके में फैल गई। गैस के उस बादल में नाइट्रोजन के ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, मोनोमेथलमीन, हाइड्रोजन क्लोराइड, कार्बन मोनोक्साइड, हाइड्रोजन सायनाइड और फॉसजीन गैस थी। जहरीले बादल के चपेट में भोपाल का पूरा दक्षिण पूर्वी इलाका आ गया।
  • मरे हुए लोगों को सामूहिक रूप से दफनाया गया और अंतिम संस्कार किया गया। कुछ ही दिन के अंदर 2,000 के करीब जानवरों के शव को मिट्टी के अंदर दबाया गया। आसपास के इलाके के पेड़ बंजर हो गए। अस्पतालों और अस्थायी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ लग गई। एक समय में करीब 17,000 लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
  • आसपास के इलाके के स्थानीय लोगों का कहना है कि कीटनाशक संयंत्र में और उसके आसपास मारे गए लोगों की आत्माएं आज भी जीवित हैं। मदद के लिए उनकी चीख पुकार अभी भी दूर से सुनी जा सकती है। फैक्ट्री परिसर में जाने वाले कुछ लोगों ने अंदर एक अजीब जोर का धक्का भी महसूस किया है, जैसे कि आत्माएं नहीं चाहतीं कि वे अंदर आएं और उनका सामना करें… भोपाल गैस रिसाव की असली भयावहता अभी भी शहर के निवासियों को परेशान करती है…
मध्‍य प्रदेश की राजधानी में भी एक भूतिया ताजमहल

भोपाल स्थित ताजमहल का निर्माण बेगम के निवास के रूप में किया गया था। इसकी लागत उस वक्त 3,00,000 रुपए थी और यह 13 सालों में बनकर तैयार हुआ था। सन 1871 से लेकर 1884 तक यह उस समय के सबसे बड़े महलों में से एक था। इस महल का शुरुआती नाम राजमहल था, लेकिन भोपाल के बर्तानिया अध्यक्ष ने इसकी वास्तुकला से प्रभावित होकर इसका नाम ताजमहल रखने का सुझाया दिया। भोपाल की बेगम ने उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए ताजमहल नाम रख दिया। बेगम ने इस महल का निर्माण पूरे होने पर तीन साल तक चलने वाले जश्न को जश-ए-ताज महल नाम दिया था।

महल अपने ब्रिटिश, फ्रेंच, मुगल और अरबी स्थापत्य प्रभावों के लिए एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण हुआ करता था। ताजमहल पैलेस के बड़े हिस्से के ढहने के बाद, राज्य सरकार ने संपत्ति पर ताला लगाने का फैसला किया।

पर्यटक अभी भी यहां घूमने आते हैं, लेकिन महल के आसपास रहने वाले स्थानीय लोग एक अलग कहानी बताते हैं। आस-पास के लोगों का कहना है कि सफेद रंग की एक महिला इस महल में रहती है जो अक्सर महल के अंदर एक खिड़की से दूसरी खिड़की तक भटकती नजर आती है। ऐसा माना जाता है कि शाहजहां बेगम ने अपने जीवन के आखिरी दिन महल में अकेले बिताए थे, अपने परिवार में हर किसी से, यहां तक कि अपनी बेटी से भी अलग।

भोपाल का भूतिया शिवपुरी किला

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के शिवपुरी जिले में स्थित किला जिसको लोग भूतिया किला भी कहते हैं। इस किले के पीछे कहानी है कि 2000 साल पहले बने इस भूतिया किले में वीर खंडेराव नामक राजा था जो लड़कियों के नृत्य का बेहद शौकीन था और वह उनके लिए आलिशान पार्टी का आयोजन भी करता था जिसके अनुसार लोग बताते हैं कि इस भूतिया किले में आज भी रात के समय आलीशान पार्टी होती है जिसमें भूत प्रेत होते हैं जिस किसी ने भी इस महफिल को देखा है वह आज तक वापस लौट कर नहीं आया है।

कहा जाता है कि खंडेराव की मौत के बाद वहां कोई भी नहीं रह सका। एक परिवार ने इस भूतिया किले में रहने का साहस किया था लेकिन जिसके बाद घर की महिलाएं यहां अजीबोगरीब हरकतें करने लगी थी। जिसके बाद उन्हें तंत्र मंत्र विद्या से उन्हें ठीक कराया गया था।

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