लेखक की कलम से

बेटी…

न हो कोई कन्या-भ्रूण हत्या,

जीने का अधिकार मिले,

हम सबका यही संकलप रहे,

बेटी हमारा अभिमान रहे।

 

पड़ें लिखे और वो बड़े,

समानता का अधिकार मिले,

हम सबका यही संकल्प रहे,

बेटी हमारा अभिमान रहे।

 

जिस रिश्ते में वो बँधे

उसे

सम्मान का हक  मिले,

हम सबका यही संकल्प रहे,

बेटी हमारा अभिमान रहे।

 

“बेटो” को दे ऐसी शिक्षा,

हर बेटी को बचा ले,

हम सबका यही संकल्प रहे,

बेटी हमारा अभिमान रहे।

 

बेटी दिवस तब मनाये,

जब मन से उसको सम्मान दे,

हम सबका  यही संकल्प रहे,

बेटी हमारा अभिमान रहे।

-झरना माथुर, देहरादून, उत्तराखंड

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