लखनऊ/उत्तरप्रदेश

फैजाबाद लोकसभा सीट से भाजपा किसी नए चेहरे को उतारने की तैयारी में

अयोध्या
भाजपा की स्थापना के दौर से ही राम मंदिर उसके लिए सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। अब राम मंदिर निर्माण पूर्णता की ओर है और रामलला 22 जनवरी को भव्य मंदिर में विराजमान होने वाले हैं। इसके लिए राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से बड़ा आयोजन किया जा रहा है। यही नहीं आरएसएस से लेकर भाजपा तक उससे पहले और बाद में बड़े अभियान की तैयारी में हैं ताकि जनता तक कनेक्ट किया जा सके और उसका चुनावी लाभ मिले। इस बीच खबर है कि पार्टी अयोध्या यानी फैजाबाद लोकसभा सीट से नए चेहरे को उतारने की तैयारी में है। फिलहाल यहां से लोप्रोफाइल लीडर लल्लू सिंह सांसद हैं।

भाजपा में अंदरखाने चर्चा जोरों पर है कि अयोध्या से किसी बड़े चेहरे को उतारा जा सकता है और लल्लू सिंह हट सकते हैं। इसके अलावा पार्टी यूपी सरकार के कई चर्चित मंत्रियों को भी लोकसभा चुनाव में उतार सकती है। इन लोगों को परफॉर्मेंस में कमजोर पाए गए सांसदों की जगह पर उतारा जाएगा। ऐसे कई सांसद हैं, जिनके बारे में सर्वे में बहुत अच्छी रिपोर्ट नहीं मिली है। ऐसे में पार्टी चाहती है कि नए चेहरे लाए जाएं और यूपी सरकार का हिस्सा बने कुछ मंत्रियों को ही उतार दिया जाए। पार्टी को लगता है कि हाईप्रोफाइल कैंडिडेट उतारने से माहौल बनेगा और पूरे चुनाव में ही मदद मिलेगी।

फिलहाल यूपी की लखनऊ सीट से राजनाथ सिंह, गाजियाबाद से जनरल वीके सिंह सांसद हैं, जो केंद्रीय मंत्री भी हैं। इनके अलावा अमेठी की सीट से स्मृति इरानी सांसद हैं, जो दोनों कार्यकाल में मंत्री रही हैं। खुद पीएम नरेंद्र मोदी वाराणसी लोकसभा सीट से 2014 से जीत रहे हैं। ऐसे में अयोध्या से किसी नामी चेहरे को उतारा जा सकता है क्योंकि यह हाईप्रोफाइल सीट है और भाजपा यहां अपना मजबूत प्रतिनिधित्व चाहती है। भाजपा के लिए मथुरा, अयोध्या और काशी की सीटें प्रतिष्ठा का विषय रही हैं। आमतौर पर तीनों ही जगहों पर वह जीत भी हासिल करती रही है। ऐसे में इन गढ़ों को वह और मजबूत करके पूरे राज्य में माहौल बनाना चाहेगी।

राज्यसभा से आने वाले कई मंत्री भी उतरेंगे मैदान में?

गौरतलब है कि इस बार भाजपा कुछ राज्यसभा के सांसदों को भी चुनाव में उतार सकती है। इन लोगों में पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण, एस. जयशंकर और भूपेंद्र यादव जैसे नेता शामिल हैं। इसके पीछे भी यही रणनीति है कि ज्यादा से ज्यादा बड़े नेताओं को लड़ाकर चुनावी माहौल में बढ़त हासिल की जा सके। इसके अलावा इन लोगों के जीतने की स्थिति में नए लोगों को राज्यसभा में जगह दी जा सकती है, जो अब तक संगठन का हिस्सा हैं और कद्दावर नेताओं में गिनती होती है। इस तरह लोकसभा चुनाव में पार्टी को ताकत मिलेगी और राज्यसभा में नए चेहरों की एंट्री भी हो पाएगी।

 

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