लेखक की कलम से
पूर्वाषाढ़ नक्षत्र का स्वागत
सुप्रभात
कली कली गली गली लिखने लगीं हैं
नई नई तारीख पर ख़ुशबू प्यार की
शब्दों का हार बनाया हार को भी जीत
रंग बिरंगे फूलों जैसा बना वक्त का गीत
चलो चलो यहीं कहीं मिलने लगीं हैं
नये नये एहसास अब यहां बहार की
कली कली गली गली लिखने लगीं हैं
नई नई तारीख पर ख़ुशबू प्यार की!
©लता प्रासर, पटना, बिहार