लेखक की कलम से
हे कृष्ण …
देवकी, यशोदा का नंदलाला
हे कृष्ण तुम्हीं हो,मुरलीवाला |
सुदर्शन चक्र है,तुम्हारी युद्ध की परिभाषा
तुम्हारी मुरली गाती है,मधुरता की भाषा |
तू प्रेम बन के, मीरा राधा में समाया
तुम मेरे भी प्रेम बनो,यही है अभिलाषा|
गऊ को पालकर,गोपाल कहलाया
किस विधि गाऊँ मोहन,तुम्हारी गाथा|
अवतरित हुए,ऐसा शुभ दिन है आया
हे करुणाकर अपने,अनंत रूपों को दिखाया|
हे गोविन्द,तुम्हीं ने रचा है जीवन मरण
हम केवल कृष्ण हैं, तुम्हारी शरण |
तुम्हीं हो जड़ प्रभु,तुम्हीं हो चेतन
यह सृष्टि बना दो, अब सुन्दर निकेतन ||
©इली मिश्रा, नई दिल्ली