लेखक की कलम से
एक प्रश्न …
‘विवाह’ मन से मन का
या मन से तन का
या तन और मन से सहन का
आशाओं की लड़ी का
परीक्षाओं की घड़ी का
साहस से समर्पण का
या सबकुछ अर्पण का
भावनाओं की डोर का
मोह के हर इक छोर का
संग सात फेरों का
या साथ चलते पैरों का
नयन से मन तक आने का
या तन से मन तक जाने का
एकाकी की मजबूरी का
या ख़ुद से ख़ुद की दूरी का
मकान को घर बनाने का
या ग़ैरों को अपनाने का
एक नया संसार गढ़ने का
या दायित्वों में पड़ने का
आख़िर क्या है अस्तित्व इसका
क्या मात्र बंधन है प्रतीक इसका?
©विनीता जायसवाल, खड़गपुर, पश्चिम बंगाल