लेखक की कलम से

प्रेम और आस्था रहे दृढ़ …

 

कतकी प्रणाम

 

जल थल नभ की पूजा करके लौट रहे सब मन की ओर

स्वच्छ सन्देश सादगी सहेज पकड़ रहे जीवन की डोर

भेव भाव भूलकर जाति धर्म से ऊपर उठकर मिले सभी

बना रहे विश्वास आस्था स्थिर रहे मार सकें सब मन का चोर!

 

©लता प्रासर, पटना, बिहार

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