लेखक की कलम से
मौसम का चाल-चलन…
दोहे
समय तराजू तुल गए,
रात बढ़ी दिन कम।
सूरज के तेवर घटे,
दक्षिण दिश गए नम।
उलट गुणित मौसम हुआ,
बदले सूरज रंग।
छू-मंतर गर्मी हुई,
हवा के बदले ढंग।
ठंड पवन घोड़े चढ़ी,
लेकर तीर-कमान।
नर-नारी घायल करे,
मोरनी मारे तिरछे बान।
ठंड नशा चढ़ने लगा,
रात पड़ी बेहोश।
सन्नाटा पसरे सड़क,
कुत्ते भी खामोश।
सूरज की अब ठंड में,
कोई चले न चाल।
आसमान में जा छुपे,
ओढ़ गुदड़िया लाल।
©जाधव सिंह रघुवंशी, इंदौर