दुनिया

900 कैदी वर्षों से जेल में बंद हैं, अब इन कैदियों की रिहाई के लिए एक भारतीय बिजनेसमैन आगे आया

दुबई
खाड़ी देश संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में कठोर कानूनों के चलते बड़ी संख्या में लोग जेलों में बंद हैं। कई लोग अपनी रिहाई के लिए होने वाले खर्च को उठाने में सक्षम नहीं हैं और वर्षों से जेल में बंद हैं। अब इन कैदियों की रिहाई के लिए एक भारतीय बिजनेसमैन आगे आया है। भारतीय बिजनेसमैन और समाजसेवी व्यक्ति फिरोज मर्चेंट ने 2024 की शुरुआत से यूएई की जेलों से 900 कैदियों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए 1 मिलियन दिरहम (लगभग 2.5 करोड़ रुपये) का दान दिया। उनका लक्ष्य इस वर्ष 3,000 कैदियों को रिहा कराना है।

मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्योर गोल्ड ज्वैलर्स के 66 वर्षीय मालिक फिरोज मर्चेंट ने संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारियों को 1 मिलियन दिरहम का दान दिया है। वह खुद दुबई में रहते हैं। फिरोज मर्चेंट के ऑफिस ने कहा कि यह रमजान से पहले विनम्रता, मानवता, क्षमा और दयाभाव दिखाने का संदेश है।

उनके कार्यालय के बयान में कहा गया है, "दुबई स्थित प्रमुख भारतीय व्यवसायी और प्योर गोल्ड के समाजसेवी फिरोज मर्चेंट ने अरब देश की जेलों से 900 कैदियों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए करीब 2.25 करोड़ (एईडी 1 मिलियन) का दान दिया है।" फिरोज मर्चेंट अपनी 'द फॉरगॉटन सोसाइटी' पहल के लिए जाने जाते हैं। वे 2024 की शुरुआत से अब तक 900 कैदियों की रिहाई करा चुके हैं।

मिडिया के अनुसार, इसमें अजमान के 495 कैदी, फुजैरा के 170 कैदी, दुबई के 121 कैदी, उम्म अल क्वैन के 69 कैदी और रास अल खैमा के 28 कैदी शामिल हैं। ऑनलाइन तेलुगु समाचार पोर्टल, मैगल्फ के अनुसार, फिरोज मर्चेंट ने उन कैदियों का कर्ज भी चुकाया और उन्हें घर लौटने के लिए हवाई किराया भी दिया। उनका लक्ष्य परिवारों को फिर से एकजुट करना और जीवन में दूसरा मौका देना है। 2024 के लिए उनका लक्ष्य 3,000 से अधिक कैदियों को मुक्त कराने में मदद करना है।

संयुक्त अरब अमीरात की केंद्रीय जेलों में पुलिस महानिदेशकों के साथ मिलकर, फिरोज मर्चेंट की पहल ने पिछले कुछ वर्षों में 20,000 से अधिक कैदियों की मदद की है। मर्चेंट ने कहा, "मैं सरकार के साथ सहयोग के लिए आभारी हूं। फॉरगॉटन सोसाइटी का मानना है कि मानवता की कोई सीमा नहीं है, और हम इन व्यक्तियों को उनके परिवारों और समुदायों के साथ मेल-मिलाप करने का मौका देने के लिए मिलकर काम करते हैं।"

 

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