1600 किमी का सफर 4 दिन में पूरा कर कर्नाटक से एमपी लाए गए 4 हाथी, अंजनाढ़ाना कैंप पहुंचे
कृष्णा, गजा, पूजा एवं मरीशा अब हमेशा के लिए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के संभ्रांत नागरिक बने
भोपाल। एसटीआर की 22 सदस्यीय टीम चार दिन में करीब 1600 किमी का रास्ता तय कर सतपुड़ा के अंजनाढ़ाना कैंप पहुंची। एसटीआर की 22 सदस्यीय टीम चार दिन में करीब 1600 किमी का रास्ता तय कर सतपुड़ा के अंजनाढ़ाना कैंप पहुंची। कर्नाटक सरकार ने मध्य प्रदेश को ये हाथी सौंपे हैं। नर्मदापुरम स्थित सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के लिए ये हाथी लाए गए हैं। कर्नाटक से मध्य प्रदेश तक इन हाथियों को लाना आसान नहीं था। लेकिन सारा काम इत्मिनान से हो गया। कर्नाटक से मध्य प्रदेश लाए गए हाथियों की पहली खेप नर्मदापुरम पहुंच गयी। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में ये हाथी आने से पार्क प्रबंधन की व्यवस्था पहले से बेहतर होगी। कर्नाटक के बंदीपुर टाइगर रिजर्व से 4 हाथी सतपुड़ा टाइगर रिजर्व लाए गए हैं। एसटीआर की 22 सदस्यीय टीम चार दिन में करीब 1600 किमी का रास्ता तय कर सतपुड़ा के अंजनाढ़ाना कैंप पहुंची।
एक माह तक डॉक्टरों की निगरानी में रहेंगे मेहमान
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि हाथियों को टाइगर रिजर्व के बेहतर प्रबंधन के लिए बुलाया गया है। इनकी तैनाती के बाद पाक की रखवाली, रेस्क्यू सहित अन्य गतिविधियों में मदद मिलेगी। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की टीम ने कर्नाटक से 4 हाथियों को चुना था। इसमें दो मेल कृष्णा, गजा और दो फिमेल हाथी पूजा और मारिसा हैं। अंजनाढ़ाना कैंप में 1 महीने तक इन मेहमान हाथियों को रखा जाएगा। पहले चरण में 4 हाथी एसटीआर में लाए गए हैं। दूसरे चरण में 10 और हाथी आएंगे। जिन्हें कान्हा और पेंच भेज जाएगा। कर्नाटक से आए हाथियों को पहले मटकुली के जंगल में बने अंजनढाना कैंप में रखा जाएगा। यहां करीब एक महीने तक एसटीआर के डॉक्टरों की निगरानी में रहेंगे। डॉक्टर उनके व्यवहार पर बारीकी से नजर रखेंगे और यहां के माहौल में ढलने के बाद उन्हें पार्क में तैनात किया जाएगा।
सतपुड़ा रिजर्व में अब हाथियों की संख्या बढ़कर हुई 10
एसटीआर में पहले से 6 हाथी हैं जिनमें से 2 लक्ष्मी और सिद्धनाथ कूनो में अफ्रीकन चीतों की निगरानी में गए हैं। कर्नाटक से 4 हाथी आने के बाद सतपुड़ा में हाथियों की संख्या 10 हो गई है। इसके बाद पार्क की व्यवस्था और सुदृढ़ होगी। पार्क प्रबंधन हाथियों की सुरक्षित शिफ्टिंग के बाद बेहद खुश है। हाथियों की शिफ्टिंग के दौरान करीब 1600 किमी के रास्ते में दिन में टीम सफर करती थी और रात होने पर जगह जगह जंगल और नेशनल पार्क कोर एरिया में इनके ठहरने की व्यवस्था की गई थी। इस दौरान चार गाड़ियों में सुरक्षा टीम के साथ डॉक्टर्स भी मौजूद रहे। जिन्होंने लगातार हाथियों की मॉनीटरिंग की।
10 और हाथियों को इसी माह लाने की तैयारी
एमपी पहुंचने पर कृष्णा, गजा, पूजा एवं मरीशा नाम के ये हाथी अब हमेशा के लिये सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के संभ्रांत नागरिक बन गये हैं। अपने गृह राज्य कर्नाटक से विदा लेकर अब कृष्णा, गजा, पूजा एवं मरीशा हाथी सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के निवासी बन गये हैं। कृष्णा, गजा, पूजा एवं मरीशा हाथियों ने बंधीपुर टाईगर रिजर्व कर्नाटक से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में शुक्रवार को प्रवेश कर लिया। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) जेएस चौहान ने बताया कि प्रदेश में स्थित टाइगर रिजर्वों में वन्य-प्राणी प्रबंधन में हाथियों की आवश्यकता को देखते हुए हाथी लाने की योजना लगभग एक वर्ष पूर्व बनाई गई थी। संचालक सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के नेतृत्व में बनाई गई समिति ने कर्नाटक के विभिन्न हाथी केम्पों का निरीक्षण कर 14 हाथियों का चयन किया। इन हाथियों को मध्यप्रदेश लाने के लिये भारत सरकार, कर्नाटक एवं मध्यप्रदेश शासन से आवश्यक स्वीकृति ली गई। एक दल इन हाथियों को लाने के लिए दिनांक 23 नवम्बर 2022 को रवाना हुआ। इस दल द्वारा मार्गों पर हाथियों को रूकने एवं अन्य व्यवस्थाओं के लिये स्थलों का चयन एवं स्थानीय वन अधिकारियों के साथ व्यवस्थित तैयारियाँ की। परिवहन दल में लगभग 22 सदस्य रहे जिनमें क्षेत्र संचालक सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, सहायक संचालक, सतपुड़ा एवं पन्ना टाइगर रिजर्व से परिवहन प्रारंभ किया गया । लगभग 1600 कि.मी. की दूरी तय की गई।
इन हाथियों में दो नर एवं दो मादा हाथी हैं शामिल
परिवहन दल में वन्य-प्राणी चिकित्सक और अन्य सहयोगी अमला भी साथ रहा। यह दल कर्नाटक के बाद आन्ध्रप्रदेश, तेलंगाना तथा महाराष्ट्र होते हुए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व पहुंचा है। यहाँ वन विभाग एवं पुलिस बल द्वारा इस दल को विशेष सहयोग एवं सुरक्षा दी गई। इन हाथियों में दो नर एवं दो मादा हाथी है। नर हाथियों के नाम कृष्णा, गजा और मादा हाथियों के नाम पूजा एवं मरीशा है। इनके साथ कर्नाटक से महावत आए हैं जो कुछ दिन सतपुड़ा में ही रहकर इनके व्यवहार से सतपुड़ा के महावत को परिचित कराएंगे। इन हाथियों को सतपुड़ा के महावत द्वारा संपूर्ण प्रशिक्षित किया जाएगा। बाद में इन्हें वन्य-प्राणी संरक्षण में उपयोग किया जाएगा। सभी हाथी सकुशल हैं और अभी विश्राम पर हैं। शेष 10 हाथियों को इसी माह में दो चरण में लाने पर विचार किया जा रहा है।