मध्य प्रदेश

प्रदेश के सभी 13 मेडिकल कॉलेजों में आज से कामबंद हड़ताल: मेडिकल कॉलेजों में ब्यूरोक्रेट्स की पोस्टिंग बर्दाश्त नहीं करेंगे डॉक्टर्स

सोमवार को सभी मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल टीचर्स ने काली पट्‌टी बांधकर जताया विरोध

भोपाल। मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में प्रशासनिक अधिकारी (आईएएस, एसएएस)  की नियुक्ति के फैसले की जानकारी लगने के बाद सरकार के इस निर्णय का विरोध तेज हो गया है। डॉक्टर्स-टीचर्स एसोसिएशन के आव्हान पर राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज सहित प्रदेश के सभी 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टर्स और मेडिकल स्टॉफ आज मंगलवार से काम बंद हड़ताल पर जा सकते हैं।

मेडिकल कॉलेजों में डीन और अधीक्षकों के साथ डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारियों की तैनाती का प्रस्ताव कैबिनेट में आने की जानकारी मिलने के बाद सोमवार को गांधी मेडिकल कॉलेज और हमीदिया अस्पताल के लगभग 500 डॉक्टर्स व स्टूडेंट्स के साथ प्रदेश के सभी 13 मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत सभी मेडिकल टीचर्स ने काली पट्‌टी बांधकर अपना विरोध जताया। ओपीडी खत्म होने के बाद भोपाल में जीएमसी के एडमिन ब्लॉक के सामने चिकित्सा शिक्षकों ने तमाम कर्मचारी संगठनों के साथ बैठक की। मेडिकल टीचर्स का कहना है कि हमने अफसरों को पत्र लिखकर मिलकर अपनी बात रखने के लिए समय मांगा था, लेकिन किसी को हमारी बात सुनने का समय नहीं है। अब हम मंगलवार से काम बंद हड़ताल करेंगे। कैबिनेट से इस प्रस्ताव की मंजूरी मिली तो मंगलवार 22 नवंबर को काला दिवस मनाते हुए सभी अधिकारी-कर्मचारी और चिकित्सक काम बंद रखेंगे।

ब्यूरोक्रेट्स की नियुक्ति का इसलिए हो रहा विरोध

मप्र चिकित्सा शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. राकेश मालवीय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मेडिकल कॉलेजों में ब्यूरोक्रेट्स की नियुक्ति की जरूरत ही नहीं है। डॉ. मालवीय ने बताया कि ब्यूरोक्रेट्स की नियुक्ति के सभी विपरीत प्रभाव मेडिकल कॉलेजों पर असर डालेंगे। क्योंकि, जितने भी प्रशासकीय कार्य उन ब्यूरोक्रेट्स को दिए जाने का शासन का प्रस्ताव है, वे इसका अनुभव नहीं रखते हैं। क्योंकि, मेडिकल कॉलेजों में जो भी प्रशासनिक कार्य होते हैं वो मरीजों की देखरेख से संबंधित, मरीजों के खानपान से संबंधित, छात्रों के पठन पाठन से संबंधित और कार्यरत चिकित्सकों से संबंधित होते हैं। इन सबके लिए चिकित्सकीय अनुभव की जरूरत होती है, जो किसी भी डिप्टी कलेक्टर या एसडीएम के पास नहीं होता है। इसलिए उनके आने से न सिर्फ व्यवस्थाएं खराब होंगी, बल्कि छिन्न-भिन्न होंगी।

हेल्थ सिस्टम में ब्यूरोक्रेट्स की जरूरत ही नहीं : डॉ. मालवीय

डीन के अधिकारों पर प्रभाव पड़ने की बात पर डॉ.. मालवीय ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के जो डीन होते हैं, उनके पास समस्त प्रशासकीय अधिकार होते हैं। उन्हें 20-25 साल का मेडिकल कॉलेजों में काम करने का अनुभव होता है। उनके अनुभवों के आधार पर ही उन्हें नेतृत्व दिया जाता है। जो प्रशासकीय अधिकारी आते हैं, वो वल्लभ भवन, कलेक्टर-कमिश्नर, राजस्व, खसरा, जमीन आदि के लिए होते हैं। इसलिए हेल्थ सिस्टम में इलाज के लिए, पढ़ने-पढ़ाने के लिए जहां तुरंत ही चिकित्सकीय निर्णय लेना पड़ता है, यह काम सामान्य एसडीएम या दूसरे ब्यूरोक्रेट्स नहीं कर पाएंगे। इसलिए यहां की व्यवस्था यहां के डीन, अधिष्ठाता या सुपरिटेंडेंट के पास ही रहना चाहिए।

3500 से अधिक शिक्षक-डॉक्टर हड़ताल पर

भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज समेत प्रदेश के 13 मेडिकल कालेजों में मंगलवार को काला दिवस मनाया जाएगा। कैबिनेट बैठक में यदि किसी आइएएस, एसएएस आदि ब्यूरोक्रेट्स को नियुक्त करने का प्रस्ताव पास होता है तो पूरे प्रदेश के साढ़े तीन हजार से अधिक चिकित्सक हड़ताल पर चले जाएंगे। इस दौरान कई अस्पतालों की ओपीडी भी बंद रहेगी।

कमलनाथ ने ट्वीट किया- मांगों पर विचार करे सरकार

मेडिकल कॉलेजों में हो रही हड़ताल और प्रदर्शन पर पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा- मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षक अपनी मांगों को लेकर काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन कर रहे हैं और हड़ताल की चेतावनी दे रहे हैं। प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत पहले से ही ख़राब है। ऐसे में राज्य सरकार को आम जनता के हित में उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए।

Back to top button