छत्तीसगढ़

सफलता की कहानी की नई तस्वीर, बदलता दंतेवाड़ा, शिशु प्रबंधन में जिला अस्पताल की जीत, नवजात बच्चे को मिला नवजीवनदान, कंगारू मदर केयर थेरेपी बनी वरदान, मां के सीने से लगकर बची बच्चे की जान …

दंतेवाड़ा। एक समय ऐसा भी था की बच्चे की बचने की दुआएं कर रहे थे पर आज सब कुछ अच्छा देख सभी खुश है लेकिन पुराने दिनों के संघर्ष को कोई नहीं भूल सकता। ये कहानी है उस बच्ची की जो 31 अक्टूबर 2022 जब जिला अस्पताल दंतेवाड़ा के प्रसूति कक्ष में संतो ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। 

दंतेवाड़ा जिले के विकासखंड कुआकोंडा के ग्राम टिकन पाल की रहने वाली संतो आज खुशी-खुशी अपने परिवार के साथ जीवन जी रही है। अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती लगभग 68-70 दिन बाद बच्चे को परिवार को सुपुर्द करते हुए अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया बच्चे को स्वस्थ देख परिवार के सदस्यों की आंखें भर आई सभी ने बच्चे को गोदी में लेकर खूब प्यार और दुलार किया।

ये बच्चे बहुत ही कमजोर व प्रीमेच्योर थे पहला बच्चे का वजन 930 ग्राम जिसकी जन्म लेते ही मृत्यु हो गई। द्वितीय शिशु भी कमजोर एवं कम वजन का था जिसका वजन 1085 ग्राम था जिसे तत्काल एसएनसीयू दंतेवाड़ा में भर्ती कराया गया। बच्चा कमजोर होने की वजह से  स्तनपान करने व सांस लेने में काफी परेशानी हो रही थी।

एसएनसीयू के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश ध्रुव ने शिशु का आकलन कर एसएनसीयू स्टाफ को निर्देशित देते हुए उचित दवाइयां देने को कहा।

लगभग 14 दिनों के बाद शिशु में संक्रमण होता प्रतीत हुआ हुआ। जिसमें जांच करवाने के बाद ज्ञात हुआ कि शिशु को डेंगू, बुखार पॉजिटिव आ गया। जिसमें रक्त संक्रमण होने पर प्लेटलेट काउंट कम हो गई। यह एक गंभीर स्थिति थी।

शिशु के माता-पिता को समझाकर तत्काल 14 नवम्बर 2022 को एसएनसीयू मेडिकल कॉलेज जगदलपुर को रेफर किया गया ताकि बच्चे का उचित उपचार किया जा सके। मेडिकल कॉलेज में उपचार के पश्चात 24 नवंबर 2022 को शिशु को पुनः एसएनसीयू जिला अस्पताल दंतेवाड़ा में लाया गया। इस समय शिशु का वजन और कम लगभग 965 ग्राम हो गया था। एसएनसीयू चिकित्सक एवं नर्सिंग स्टाफ के लिए यह बड़ा मुश्किल समय था गंभीर रूप से बीमार शिशु का उचित प्रबंधन करना। एसएनसीयू दंतेवाड़ा के शिशु रोग विशेषज्ञ एवं नर्सिंग स्टाफ की कोशिश से नवजात शिशु के प्रबंधन में जुट गए। शिशु को सर्वप्रथम ओरल ट्यूब के माध्यम से मां का दूध एवं विशेष आहार दिया साथ ही मां एवं बुआ के द्वारा कंगारू मदर केयर से बच्चे का लगातार वजन बढ़ाने का प्रयास किया गया।

गांव के रहने वाले संतो का परिवार काफी दिनों से घर से बाहर थे फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और इलाज में सहयोग किया। विशेष रूप से कंगारू मदर केयर से प्रतिदिन 10 से 14 घंटे तक बच्चे का देखभाल किया और जिससे धीरे-धीरे बच्चे का वजन बढ़ने लगा।

प्रतिदिन शिशु का कुछ ग्राम बढ़ना या कम होने का क्रम चलता रहा। आज 23 जनवरी 23 को शिशु का वजन 1455 ग्राम हो चुका है। शिशु पूरी तरह से स्वस्थ है उसके वायटल स्टेबल हैं, स्तनपान कर रहा है। भारतीय एसएनसीयू गाइडलाइन के अनुसार शिशु ने डिस्चार्ज का मानक प्राप्त कर लिया है। अतः 68 दिन इलाज एवं प्रबंधन के बाद, शिशु को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। और संतो अपने परिवार के साथ आज खुशहाल जिंदगी जी रही है।

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