मध्य प्रदेश

सरकारी ऑडिटर निकला ‘डंडा बैंक’ का संचालक, पुलिस ने किया गिरफ्तार …

भोपाल। राजधानी में डंडा बैंक चलाने वाले महालेखाकार कार्यालय के ऑडिटर को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। वह गरीब-मजदूरों, असहाय लोगों को मदद के बहाने पहले पैसा देता था। इसके बाद उनसे मनमाना ब्याज वसूलता था। पैसा नहीं चुकाने पर वह कर्जदारों को चेक बाउंस के आरोप में फंसाकर जेल भिजवाने और एनकाउंटर कराने की धमकी देता था। आरोपी अपने ऑफिस और घर से सूदखोरी का गोरखधंधा चला रहा था।

एक पीड़ित दीनदयाल विश्वकर्मा द्वारा शिकायत करने के बाद पुलिस ने आरोपी कमल किशोर पिता घनश्याम को गिरफ्तार कर उसके पास से कर्ज लेने वालों के 42 खाली-भरे बैंक चेक, 20 रसीद वाली टिकट हस्ताक्षर किए हुए, आधार कार्ड, फर्जी एग्रीमेंट के कागज, अलग-अलग बैंकों के 9 एटीएम कार्ड, 5 मोबाइल सिम, 10 बैंक पासबुक बरामद की हैं। उसने हाल में झुग्गी बस्ती में रहने वाले दीनदयाल विश्वकर्मा से 10 हजार के बदले 2.5 लाख रुपए की मांग की थी। दीन दयाल ने उससे कहा था कि वह इतने पैसे नहीं दे सकता।

इस पर आरोपी ने उसे चेक बाउंस के आरोप में फंसाकर जेल भिजवाने और एनकाउंटर कराने की धमकी दी। इससे डरकर दीनदयाल विश्वकर्मा ने थाने में शिकायत कर दी थी। हरकत में आई पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर आरोपी कमल किशोर को उसके बी- 28 ओल्ड सुभाष नगर से गिरफ्तार कर लिया। वह मूलत: सवाई माधौपुर का रहने वाला है। महालेखाकार कार्यालय भोपाल में वह लेखापरीक्षक के पद पर पदस्थ है।

आरोपी कमल आफिस में आने वाले मजदूरों को बोलता था कि तुम्हारे बीच में कोई व्यक्ति को पैसों की जरूरत हो तो बताना। हम बैंक से भी कम ब्याज पर पैसा देते हैं। मजदूर उसकी बातों में आकर अपने से जुड़े लोगों को उससे मिला देते थे। वह जरूरतमंदों को 10 हजार रुपए तक कर्ज देता था। पैसा देने के बाद वह एग्रीमेंट करता था और खाली चेक ले लेता था। इसके बाद छह माह तक 10% ब्यॉज वसूलता था। बाद में 20 फीसदी कर देता था। जब उसे लगता था कि सामने वाला व्यक्ति पैसा दे देगा तो और अधिक ब्याज बढ़ा देता था। फिर वकील से नोटिस भिजवाता था। पुलिस यह जांच कर रही है कि आरोपी अभी तक और कितने लोगों से इस तरह की मनमानी वसूली कर चुका है। साथ ही उसने कोर्ट में चेक बाउंस के कितने केस लगा रखे हैं।

पुलिस की जांच में सामने आया कि कमल 86560xxxxx वाटसऐप से कर्ज लेने वालों को धमकी भरे मैसेज करता था। जैसे ही कर्जदार मैसेज देख लेता था, वैसे ही आरोपी उसे डिलिट कर देता था। पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि वह 10 हजार रुपए देकर 25 लाख रुपए तक की वसूली करता था। सिक्यूरिटी के तौर पर लोगों से वह ब्लैंक चेक लेकर रख लेता था।

पुलिस के अनुसार आरोपी दो साल से इस गोरखधंधे में लगा हुआ था। वह अपने घर के अलावा ऑफिस से भी सूदखोरी का धंधा चलाता था। उसके निशाने पर बल्लभ नगर जैसी झु्ग्गी बस्तियों के गरीब लोग होते थे। वह इन झुग्गी बस्तियों के गरीब और जरूरतमंद लोगों को मदद के बहाने रुपए उधार देता था। एसीपी अभिनव विश्वकर्मा ने बताया कि अभी तक उसके पास जो दस्तावेज मिले हैं, उससे लग रहा है कि 25 से 30 लोगों को वह वसूली के लिए डरा-धमका रहा था।

पुलिस के अनुसार आरोपी शातिर प्रवृत्ति का है। वह गरीबों को जाल में फंसाने के लिए पहले उनका मददगार बनकर सामने आता है। जैसे ही उसके पास कर्ज लेने वाले के चेक, दस्तावेज हाथ लगते हैं, वह मनमानी वसूली करने लगता है। पुलिस के अनुसार विभागीय कार्रवाई के लिए पुलिस आरोपी के विभाग को पत्र लिख रही है, ताकि कानूनी कार्रवाई के साथ उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी हो सके।

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