मध्य प्रदेश

5 लाख के घोटाले में मध्यग प्रदेश के पूर्व मंत्री भगवान सिंह यादव को तीन साल की सजा

ग्वालियर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री भगवान सिंह यादव को भ्रष्टाचार के मामले में 3 साल की सजा सुनाई गई है। उन पर 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। एमपी एमएलए की विशेष अदालत ने पूर्व मंत्री समेत 6 आरोपियों को दोषी माना है। मामले में दो आरोपियों को बरी कर दिया गया है। मामला 24 साल पुराना है। बैंक के ही एक कर्मचारी सतीश शर्मा ने 2004 में आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो में शिकायत की थी। इसमें बताया था कि महिला बहुउद्देशीय सहकारी संस्था मर्यादित गढ़रौली को बिना कोटेशन बुलाए स्टेशनरी सप्लाई का ऑर्डर दे दिया गया है। यह स्टेशनरी 5 लाख 33 हजार 504 रुपए की थी। 2004 से शुरू हुई लंबी जांच पड़ताल के बाद 2009 में ईओडब्ल्यू ने पूर्व मंत्री भगवान सिंह समेत 9 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।

यह फैसला विशेष सत्र न्यायाधीश सुशील कुमार जोशी ने सुनाया। तीन साल की सजा होने पर भगवान सिंह यादव व अन्य आरोपी डीके जैन को जमानत मिल गई, जबकि चार साल की सजा वाले चार आरोपितों ईशान अवस्थी, गजेंद्र श्रीवास्तव, शीला गुर्जर व संजीव शुक्ला को जेल जाना पड़ा। दो आरोपी मुकेश माथुर व रजनी मुले दोषमुक्त हो गए। एक आरोपी सुरेश चंद्र जैन की ट्रायल के दौरान मौत हो गई। जानकारी के अनुसार जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के कर्मचारियों ने महिला बहुद्देशीय सहकारी संस्था गढ़रोली के नाम से एक संस्था बनाई। संस्था को महिलाओं के लिए उत्थान कार्य करना था। बैंक प्रबंधन ने इसके माध्यम से स्टेशनरी का क्रय करना बताया। संस्था को 5 लाख 33 हजार 504 रुपये का भुगतान करना था। पैसा संस्था के पास न जाते हुए बैंक के स्टोर कीपर ईशान अवस्थी के खाते में जमा हुआ। 1999 में इस घोटाले को अंजाम दिया गया। स्टेशनरी गढरोली संस्था से खरीदना बताया, लेकिन बिल मुरार की संस्था के लगाए गए। बैंक के तत्कालीन लिपिक पं. सतीश चंद्र शर्मा ने इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) में 2004 में शिकायत की गई। ईओडब्ल्यू ने इसकी जांच की, लेकिन बीच में ही शिकायत को बंद कर दिया गया।

इसके बाद शिकायतकर्ता साक्ष्यों के साथ ईओडब्ल्यू के महानिदेशक के पास पहुंचे और दोबारा जांच शुरू कराई। जांच में घोटाला सही पाया गया। वर्ष 2009 में भगवान सिंह यादव सहित बैंक कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। 2011 में न्यायालय में चालान पेश किया गया। पहले इस केस की ट्रायल भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के केस सुनने के लिए बने कोर्ट में चली। उसके बाद सांसद, पूर्व विधायकों के लिए बने विशेष कोर्ट में ट्रायल स्थानांतरित हो गई। विशेष न्यायालय ने इस केस में फैसला सुना दिया है और छह दाषियों को सजा सुनाई गई है। अभियोजन की ओर से पैरवी अभिषेक मेहरोत्रा ने की। ज्ञात हो कि घोटाले के समय भगवान सिंह यादव बैंक के अध्यक्ष थे और डीके जैन बैंक महाप्रबंधक।

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