छत्तीसगढ़

माइक्रोफाइनेंस कम्पनियों की वसूली से क्षेत्र के गरीब व निम्न वर्ग परेशान, जिला पंचायत सदस्य शुभम पेन्द्रों ने दिया मदद का आश्वासन

गौरेला (आशुतोष दुबे)।क्षेत्र में गांव गांव जाकर दर्जनों माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों ने सैकड़ों महिलाओं, मजदूरों को ऋण दे रखा है। इस लॉक डाउन के बाद भी अब इन ऋणों की वसूली से अब गरीब मजदूर वर्ग परेशान है। यह सच्चाई है कि इस लॉक डाउन में सबसे ज्यादा प्रभावित हैं तो वे हैं गरीब मजदूर व निम्न वर्ग के लोग। पर लॉक डाउन खुलने के तुरंत बाद माइक्रोफाइनेंस कंपनी अब क्षेत्र के गरीब लोगों को वसूली के नाम पर परेशान करने लगे हैं। इन फाइनेंस कर्मचारियों की दादागिरी इतनी है कि लोन लेने वालों को किश्त चुकाने के लिए गाड़ी, जमीन आदि गिरवी रखने का भय दिखा रहे हैं। आज इन्हीं माइक्रोफाइनेंस कम्पनियों के वसूली से तंग आकर मरवाही क्षेत्र के दर्जनों आदिवासियों ने क्षेत्र के लोकप्रिय जिला पंचायत सदस्य शुभम पेन्द्रों से मिलकर अपनी समस्या बताई।

खबर मरवाही की है जहाँ क्षेत्र में दर्जनों माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों ने ऋण वसूली के नाम पर क्षेत्रवासियों का भयादोहन कर रहे हैं। ज्ञात हो कि मरवाही क्षेत्र में अनेक गरीब मजदूर, किसान व महिलाओं ने अपने निजी कार्य व छोटे-मोटे धंधों के लिए माइक्रोफाइनेंस कम्पनियों से लोन लिए थे। इन फाइनेंस कम्पनियों ने हितग्राहियों के सुविधा अनुसार साप्ताहिक या मासिक किश्त बांधा गया था। गरीब मजदूर भी इस लॉक डाउन के पहले इन माइक्रोफाइनेंस कम्पनियों को नियमित किश्त चुका रहे थे। पर इस लॉक डाउन के बाद वे लोन चुकाने में असमर्थ हैं। क्योंकि इस लॉक डाउन में सबसे ज्यादा कोई प्रभावित हुआ है तो वो है गरीब मजदूर व निम्न वर्ग के लोग। उन्हें ही सबसे ज्यादा आर्थिक क्षति उठानी पड़ी है लॉकडाउन के कारण।

मजदूरों के काम-धाम सब बन्द हैं। ऐसे में जब वे दो वक्त की रोजी बड़ी मुश्किल से जुटा पा रहे है तो वे इन माइक्रो कम्पनियों को अपना लोन कहाँ से चुकाएं। मजदूरों का कहना कि अभी अभी कामधाम खुले हैं। अभी हम लोगों के पास लोन का किश्त चुकाने के पैसा नहीं है। हम लोग माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों से निवेदन किये हैं कि हम लोगों को दो माह का और समय दे। इसके लिए हम ब्याज भी देने को तैयार हैं। पर वो लोग सुनने को तैयार ही नहीं हैं और हमें डरा-धमका कर किश्त चुकाने के दबाव डाल रहे हैं।

माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों के इसी भयादोहन के कारण ग्राम उसाढ के दर्जनों आदिवासी मजदूरों ने जिला पंचायत सदस्य शुभम पेन्द्रों से मिलकर अपनी समस्या बताई। जिला पंचायत सदस्य शुभम पेन्द्रों ने ग्रामवासियों की समस्या की गम्भीरता को देखते हुए एसडीएम मयंक चतुर्वेदी से बात कर उनकी समस्याओं से अवगत कराया जहाँ एसडीएम ने माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों के अधिकारियों से बात कर हर सम्भव मदद का भरोसा दिलाया।

दिल्ली बुलेटिन से बात करते हुए जिला पंचायत सदस्य शुभम पेन्द्रों ने कहा कि माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों को अभी 2 माह और किश्त की मांग नहीं करनी चाहिए। क्योंकि गांव के मजदूरों व निम्न वर्ग के लोगों को इस लॉक डाउन में बहुत अधिक आर्थिक क्षति उठानी पड़ी है। मजदूर वर्ग इसके लिये ब्याज देने को तैयार है।

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