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पंजाब के घटनाक्रम से सक्रिय हुए कांग्रेस के बड़े नेता, सत्ता विरोधी लहर से निपटने कर रहे हैं प्लान तैयार…

जयपुर। पंजाब कांग्रेस में बदलाव के बाद राजस्थान के बड़े नेताओं के कान खड़े हो गए हैं। राजस्थान में भी फेज में बदलावों की सियासी सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सत्ता विरोधी लहर से निपटने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्लान बनाने की तैयारी में जुट गए हैं। पूरी तरह ठीक होने के बाद वे फील्ड में उतरने को तैयार हो गए है।

 

बताया जा रहा है कि सीएम गहलोत पश्चिमी राजस्थान से अपने दौरों की शुरुआत कर सकते हैं। गृह जिले जोधपुर के अलावा बीकानेर, नागौर, जालोर, सिरोही जिलों में भी सीएम के बड़े स्तर पर दौरे करने के कार्यक्रम बनाने पर विचार किया जा रहा है। गहलोत ने पिछले 18 महीने से उपचुनावों को छोड़ कोई सियासी दौरा नहीं किया। गहलोत के प्रदेश दौरे का कार्यक्रम बनाने पर मंथन चल रहा है। दिसंबर में सरकार के तीन साल पूरे हो रहे हैं, ऐसे में तीन साल के कार्यक्रमों में जगह-जगह जाकर शिलान्यास उद्घाटन करने पर भी विचार चल रहा है। गहलोत के रणनीतिकार सरकार के तीन साल पूरे होने पर बड़े स्तर पर दौरों की तैयारी कर रहे हैं।

 

गहलोत के दौरों का प्लान कोरोना पर निर्भर करेगा। राजस्थान में पिछले लंबे समय से कोरोना कंट्रोल में है। वैक्सीनेशन भी सही रफ्तार से चल रहा है। दिसंबर तक ज्यादातर आबादी सेफ हो जाएगी, कोरोना की तीसरी लहर नहीं आती है तो सियासी दौरे करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। इसे ध्यान में रखकर ही गहलोत के सियासी दौरों की तैयारी चल रही है। गहलोत के इन दौरों में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और प्रमुख मंत्रियों को भी साथ रखने पर विचार किया जा रहा है।

 

गहलोत फरवरी 2020 के बाद से बाड़ेबंदी और उपचुनावों को छोड़कर फील्ड में नहीं गए। पूरे कोरोना काल में गहलोत ने सीएम निवास को ही दफ्तर बनाकर काम किया। सियासी हलकों में इसकी चर्चा भी रही। गहलोत पिछले डेढ़ साल से भी ज्यादा समय से वर्चुअल बैठकें और वर्चुअल उद्घाटन ही कर रहे हैं। ​वे पिछले साल अगस्त में बालेसर दुखांतिका के पीड़ितों से मिलने के अलावा जोधपुर भी नहीं गए। कई वर्चुअल कार्यक्रमों में गहलोत जोधपुर के कार्यकर्ताओं से कोरोना कम होते ही जोधपुर सहित अलग-अलग जगहों पर आने का वादा करते रहे हैं।

 

कोरोना काल में पिछले 18 महीनों से गहलोत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही बैठकें और शिलान्यास उद्घाटन किए हैं। गहलोत को उनके नजदीकी रणनीतिकारों ने सलाह दी है कि कांग्रेस का कोर वोटर गांव और छोटे कस्बों में है, वह सीधे कनेक्ट चाहता है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से राजनीतिक तौर पर माहौल नहीं बनता और कांग्रेस का कोर वोटर कनेक्ट नहीं होता। इस वजह से एक बड़ा वर्ग कट चुका है और उसे जोड़ने के लिए फील्ड में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

 

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक राजस्थान के सियासी मिजाज का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि यहां दो साल बाद सत्ता विरोधी लहर पनपना शुरू हो जाती है। जैसे-जैसे सरकार का कार्यकाल चौथे साल की तरफ बढ़ता है, वैसे-वैसे सत्ता विरोधी लहर में तेजी आना शुरू हो जाती है। सीएम अशोक गहलोत के पास सत्ता विरोधी लहर का फीडबैक है।

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