मध्य प्रदेश

ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा के साथ ही कराया जा रहा अद्वैत वेदांत संस्थान का निर्माण

उज्‍जैन में आयोजित संत सम्मेलन में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने दी जानकारी

उज्जैन। चारधाम आश्रम में दादा गुरु स्वामी अखंडानंदजी महाराज की 55वीं पुण्य तिथि महोत्सव पर आयोजित विराट संत सम्मेलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भगवान महाकाल की कृपा व संतों के आशीर्वाद से श्री महाकाल महालोक के दूसरे चरण का काम शुरू हो गया है। मध्य प्रदेश अद्वैत का सिद्धांत, भारतीय संस्कृति व संत परंपरा का दिग्दर्शन कराएगा। इसके लिए ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। साथ ही अद्वैत वेदांत संस्थान का निर्माण भी कराया जा रहा है।

संतों के आशीर्वाद से दूर हो जाते हैं सारे ताप, मिलती है नई ऊर्जा: सीएम

चारधाम आश्रम पहुंचने पर मुख्यमंत्री ने सबसे पहले परिसर में बने बारह ज्योतिर्लिंग मंदिर में स्थित भगवान महाकाल का अभिषेक पूजन किया। इसके बाद मंच पर आकर मौजूद संत, महात्मा व मंडलेश्वरों से आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि संतों के आशीर्वाद से सारे ताप दूर हो जाते हैं और नई ऊर्जा मिलती है। आज इस मंच पर एक साथ अनेक संतों के दर्शन कर मैं धन्य हो गया हूं। युगपुरुष स्वामी परमानंदजी महाराज, दीदी मां साध्वी ऋतुंभराजी, महामंडलेश्वर स्वामी शांति स्वरूपानंदजी महाराज ने मुख्यमंत्री को रुद्राक्ष की माला तथा शाल श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने चारधाम आश्रम की परिचय पुस्तिका चारधाम संदेश का विमोचन भी किया।

ऊंच-नीच का भाव खत्म होगा, तभी देश व समाज की उन्नति संभव: स्वामी परमानंद जी

सम्मेलन की शुरुआत युगपुरुष स्वामी परमानंद जी के आशीर्वचन से हुई। उन्होंने कहा कि हमने उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी योगी आदित्यनाथ को सौंपी है। मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी शिवराजसिंह चौहान को पहले से सौंप रखी है। देश व समाज की प्रगति के लिए ऊंच नीच की भावना नहीं होना चाहिए। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शुद्र चारों भाई हैं। इनमें ऊंच नीच नहीं, बल्कि यह सभी समान हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी अखंडानंदजी की पुण्य तिथि निर्वाण नहीं, बल्कि निर्माण दिवस के रूप में मनाना चाहिए।

माता धर्मगुणी और संतों को जन्म देने वाली बनें: स्वामी विशोका नंद जी

महानिर्वाणी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोका नंदजी महाराज ने आशीर्वचन की शुरुआत शिवोह्म के नाद के साथ की। उन्होंने कहा कि कैकई रजोगुणीं थीं, इसलिए ना उन्हें राजपाट मिला ना उनके पुत्र भरत को। इसलिए माता को धर्मगुणी होना चाहिए, माताएं संतों को जन्म देने वाली बनें।

17 दिसंबर तक चलने वाले संत सम्मेलन में प्रतिदिन यह आयोजन होंगे –

– सुबह 7 से 8 बजे तक योगाचार्य अश्विन शर्मा द्वारा योग कराया जाएगा।

– सुबह 8.30 से 9.30 बजे तक युगपुरुष स्वामी परंमानंदजी ध्यान द्वारा आत्म साक्षात्कार कराएंगे।

– सुबह 9.30 से दोपहर 12 बजे तक साध्वी नीलम गायत्री व भगवान बापू के श्रीमुख से श्रीराम कथा होगी।

– दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक आगंतुक संतों के प्रवचन होंगे।

– शाम 7 बजे से वृंदावन के प्रसिद्ध श्री रामश्याम लीला संस्थान द्वारा रासलीला का मंचन किया जाएगा।

ये संतगण रहे मौजूद

संत सम्मेलन में युगपुरुष स्वामी परमानंदजी महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंदजी महाराज, साध्वी ऋतुंभराजी, महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंदजी सरस्वती, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंदगिरीजी, महामंडलेश्वर स्वामी गुरुशरणानंदजी, वाल्मीकि धाम पीठाधीश्वर बालयोगी संत उमेशनाथजी, परमहंस संत डॉ. अवधेशपुरीजी सहित अन्य संत, महंत व मंडलेश्वर मौजूद थे।

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