बिलासपुर

कौन बनेगा महापौर, तय करेंगे भूपेश बघेल लेकिन किंगमेकर अटल श्रीवास्तव

बिलासपुर {प्रमोद शर्मा} । नगर निगम बिलासपुर के लिए पार्षदों का चुनाव हो चुका है। 35 पार्षद सीधे कांग्रेस से निर्वाचित होकर आएं हैं। 5 निर्दलीय पार्षदों में से 4 को कांग्रेस का बागी माना जा रहा है और यह उम्मीद की जा रही है कि ये भी महापौर चुनाव में कांग्रेस को समर्थन दे देंगे। अब सवाल यह है कि आखिर महापौर का ताज किसे मिलेगा? मोटे तौर पर कांग्रेस के 6 पार्षदों को महापौर का दावेदार समझा जा रहा है लेकिन यह बात सभी बड़े नेता कह रहे हैं कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री अटल श्रीवास्तव की भूमिका मेयर तय करने में महत्वपूर्ण होगी।

बिलासपुर नगर निगम के लिए महापौर के दावेदारों में विजय केशरवानी, रामशरण यादव, राजेश शुक्ला, शेख नजीरुद्दीन, रवीन्द्र सिंह और विष्णु यादव को माना जा रहा है। 70 पार्षदों वाले बिलासपुर नगर निगम में कांग्रेस के 35 पार्षद निर्वाचित हुए हैं। इसमें स्व. शेख गफ्फार भी शामिल हैं। इस तरह से कांग्रेस के 34 पार्षदों से ही महापौर का चयन होना है। कांग्रेस को महापौर के लिए सिर्फ एक पार्षद की जरुरत होगी। 5 निर्दलीय पार्षदों में 4 को कांग्रेस समर्थित समझा जा रहा है।

कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले और चुनाव जीत जाने वाले पार्षदों के मन में कांग्रेस के प्रति नाराजगी अभी भी हो सकती है। मान-मनौव्वल का दौर कल देर शाम से ही शुरु हो चुका है। यह भी सही है कि जनाधार वाले कांग्रेस के कई नेताओं की उपेक्षा की गई। टिकट वितरण ठीक तरह से हुआ होता तो कांग्रेस पार्षदों की संख्या अधिक होती। अब चुनाव हो गया और जैसे-तैसे कांग्रेस का मेयर भी बनना तय हो गया है इसलिए अब सभी कांग्रेसी चाह रहे हैं कि लंबे समय बाद कांग्रेस का मेयर बिलासपुर नगर निगम में बन जाए।

मेयर कौन होगा और मेयर का चयन कैसे किया जाएगा, यह बात अभी आम चर्चा में है। मेयर के दावेदारों में राजेश शुक्ला को सबसे वरिष्ठ पार्षद माना जा रहा है। वे लगातार 6 बार से पार्षद निर्वाचित होते आ रहे हैं। इसके बाद शेख नजीरुद्दीन हैं जो 5 बार खुद और 1 बार उनकी पत्नी पार्षद निर्वाचित हुईं हैं। फिर विष्णु यादव, रवीन्द्र सिंह और रामशरण यादव भी नगर निगम के अनुभवी पार्षद हैं। जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय केशरवानी पहली बार पार्षद निर्वाचित हुए हैं। 20 साल पहले भी कांग्रेस की टिकट पर वे चुनाव लड़े लेकिन चुनाव हार गए। इन 20 सालों में विजय केशरवानी राजनीति में अच्छी पकड़ बना चुके हैं। एनएसयूआई, युवक कांग्रेस से लेकर कांग्रेस कमेटी में जिम्मेदार पदों पर रह चुके हैं। मैनेजमेंट विजय केशरवानी की विशेषता है इसलिए पहली बार चुनाव जीतने के बाद भी वे महापौर की रेस में शामिल हैं।

कांग्रेस के बड़े दिग्गज इस बात को मान रहे हैं कि महापौर का चयन इन 6 पार्षदों के बीच से ही होना है लेकिन महापौर चयन में बड़ी भूमिका प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री अटल श्रीवास्तव की होगी। शहर की राजनीति के हिसाब से और गुटीय समीकरण के हिसाब से कौन ज्यादा उपयुक्त होगा यह कहना मुश्किल है। महापौर का पद सामान्य है इसलिए सामान्य वर्ग से महापौर बने यह प्रयास किया जाएगा। मगर महापौर जैसे महत्वपूर्ण मामले में ऐसी सहमति बन जाए इस बात की संभावना कम है। बिलासपुर नगर निगम का क्षेत्र काफी बड़ा हो गया है। भूपेश सरकार की प्राथमिकता में बिलासपुर है। जाहिर है जब सरकार की मंशा बिलासपुर का व्यवस्थित विकास करना है तो महापौर भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पसंद का होगा लेकिन सहमति और सुझाव अटल श्रीवास्तव का महत्वपूर्ण होगा ऐसा माना जा रहा है।

Back to top button