लेखक की कलम से

उम्मीदों का साल …

थामी बीस ने सर्दी में

इक्कीस की पक्की डोर

जा बैठा है अब किनारे

कर कोरोना का शोर ।

 

टीका आने की राह है

देख रही अब प्रजा सारी

कैसे देगी सब जनों को

सोच रही सरकार हमारी ।

 

भूख गरीबी और बेकारी

जनसंख्या भी कितनी भारी

जल संकट धूल धुआँ धुंध

फैली अनगिन हैं बीमारी ।

 

बिसर गयीं सारी ही बातें

महामारी के फैलावे में

कैसे स्वस्थ हो देश हमारा

रह न जाये बहकावे में ।

 

©डॉ. रीता सिंह, आया नगर, नई दिल्ली, अस्सिटेंड प्रोफेसर चंदौसी यूपी

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