छत्तीसगढ़

कवि एवं जस्टिस अनिल कुमार शुक्ला की दो पुस्तकों का विमोचन

रायपुर

कवि एवं जस्टिस अनिल कुमार शुक्ला की दो पुस्तकों का विमोचन लोक आयोग के सेमिनार हाल में प्रमुख लोकायुक्त जस्टिस टी पी शर्मा ने किया।  इस अवसर पर उन्होंने कहा कि साहित्य ही समाज को ऊंचाई देता है।  मुख्य अतिथि प्रमुख लोक आयुक्त जस्टिस श्री टी पी शर्मा ने कहा कि साहित्य ईश्वर प्रदत्त कृति है। साहित्य समाज को ऊंचाई देता है। तुलसी ने स्वांत सुखाया के लिए रामचरित मानस की रचना की थी लेकिन आज वह लोक के लिए उत्कृष्ट रचना है। साहित्य कमजोर नहीं होता, वह प्रभावी होता है। यह सब का हित करता है। जस्टिस अनिल शुक्ला की दोनों पुस्तकें उनके अनुभवों का सार है, वे अपने परिदृश्य की तमाम विसंगतियों को बेबाकी से प्रस्तुत करते हैं। प्रेम की अनुभूतियों को प्रकट करती हैं।  

 पूर्व मंत्री एवं विधायक श्री सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि एक न्यायमूर्ति के रूप में जस्टिस श्री अनिल शुक्ला ने रोचक शब्दों में विसंगतियों को व्यंग शैली में प्रस्तुत किया है। समारोह के अध्यक्ष मैट्स विश्वविद्यालय के कुलपति डा के पी यादव ने कहा कि बड़ी बएबआकई से कवि ने समाज की विसंगतियों पर प्रहार किया । रचनाओं में एक ओर प्रेम की गहरी अनुभूति है तो दूसरी ओर यथार्थ पर प्रतिक्रिया।समीक्षक डॉ चित्तरंजन कर ने कहा कि आसान शैली में लिखना बड़ा कठिन है। इनकी कविताओं में प्रेम की चरम अनुभूति है, गहरी संवेदना है। व्यंगकार गिरीश पंकज ने कवि को व्यंग्यमूर्ति कहते हुए इन रचनाओं को समाज का आइना बताया।प्रारंभ में अपनी कविताओं के निर्माण की प्रक्रिया और अनुभूतियों पर कवि जस्टिस श्री अनिल कुमार शुक्ला ने बात रखी और चुनी हुई कविताओं का पाठ किया।

छत्तीसगढ़ मित्र के संपादक डॉ सुशील त्रिवेदी ने कहा कि ये कविताएं परंपरा से जन्मी हैं। कवि जोखिम उठाकर कविता लिखता है। विसंगतियों पर इतना तेज प्रहार कविताओं में है लेकिन अनेक कविताएं गांधीवादी व्यवस्था के निर्माण का आग्रह करती हैं।श्रीमती मंजू ठाकुर और  श्रीमती साधना श्रीवास्तव ने कविताओं का सस्वर पाठ किया।अतिथियों का स्वागत लोक आयोग के उपसचिव के पी भदौरिया, आर पुराम, श्रद्धा द्विवेदी, डॉ सुरेश शुक्ला, डॉ एल एस निगम ने किया। संचालन करते हुए छत्तीसगढ़ साहित्य एवं संस्कृति संस्थान के महासचिव डॉ सुधीर शर्मा ने कवि का परिचय दिया।

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