मध्य प्रदेश

विक्रम विश्वविद्यालय में पीएचडी घोटाले के तार यूपी से जुड़े

लोकायुक्त जांच : राजनीतिक दबाव में उज्जैन विक्रम विवि में रोल नंबर और आंसर शीट तक बदल डाली, तीन और एफआईआर दर्ज

उज्जैन। विक्रम विवि में हुए पीएचडी कांड में अब एक नया मोड़ आ गया। ये मामला अब मध्यप्रदेश से आगे जाकर इसके तार उत्तर प्रदेश तक जुड़ चुके हैं। लोकायुक्त ने इस मामले में बुधवार को एक महिला सहित तीन और आरोपी के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। मामले में इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर, देवास की एक महिला छात्रा और यूपी के एक अन्य छात्र की भूमिका सामने आई तो विक्रम विश्वविद्यालय में खलबली मच गई।

लोकायुक्त ने पूर्व में इन आरोपियों से पूछताछ की थी उसके बाद आज प्रकरण दर्ज किया। अब इस मामले में कुल आठ आरोपी हो चुके हैं। विक्रम विश्वविद्यालय में हुए पीएचडी कांड में फंसे या पात्रों को बचाने के लिए विश्वविद्यालय के जिम्मेदारों ने बहुतेरे प्रयास किए लेकिन लोकायुक्त के शिकंजे से आरोपी बच नहीं पा रहे हैं। बुधवार को लोकायुक्त ने एक महिला सहित तीन आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर पीएचडी कांड में आरोपियों की संख्या 8 कर दी। पहले इस मामले में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रशांत पुराणिक सहित 5 आरोपियों पर मामला दर्ज हुआ था।

तीन आरोपियों पर इसलिए दर्ज हुए मामले

बुधवार को जिन 3 आरोपियों को पीएचडी कांड में अभियुक्त बनाया है उसमें गौरव शर्मा (यूपी), अंशुमा पटेल (देवास) व अमित मरमट (उज्जैन) का नाम शामिल है। इन सभी आरोपियों के राजनीतिक बैकग्राउंड भी हैं जिनके प्रभाव के चलते विवि के कर्ता-धर्ता आंसर शीट में भी फेरबदल करने से नहीं चूके। मजेदार बात तो यह कि आरोपी अमित मरमट इंजीनियरिंग कॉलेज का ही प्रोफेसर बताया गया है जो पीएचडी करने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहा था, इस बार भी उसने फॉर्म भरा था लेकिन अंकों की कमी के चलते उसका चयन नहीं हो सका, विवि ने राजनीतिक प्रभाव के चलते आंसर शीट में ही फेरबदल कर दिया। यही बात महिला आरोपी के साथ में भी जाहिर हुई। जानकारी जुटाने के बाद े इन तीनों को आरोपी बना दिया।

कार्य परिषद की बैठक में भी किया गया गुमराह

पिछले दिनों लोकायुक्त मैं प्रकरण दर्ज होने के बाद आनन फानन विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक बुलाई गई थी जिसमें इसी मुद्दे पर कुलपति ने जवाब सवाल किए थे लेकिन जिम्मेदारों ने रोल नंबर बदल कर ही झूठी जानकारी प्रस्तुत कर विश्वविद्यालय के कुलपति को गुमराह किया। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश पांडे ने अपनी ओर से कोई जांच नहीं की और जैसा जानकारी कार्यपरिषद में आई वैसी की वैसी ही उन्होंने लोकायुक्त को दे डाली। लेकिन लोकायुक्त ने जब तथ्यात्मक जानकारी बताएं तो बदले हुए रोल नंबर यूपी के गौरव शर्मा का नाम सामने आया। पता चला है कि गौरव शर्मा को पीएचडी की चयनित सूची में शामिल करने के लिए एक पत्रकार का दबाव कुलपति पर भी था।

यह था पूरा मामला

मार्च 2022 में हुई पीएचडी प्रवेश परीक्षा में इंजीनियरिंग विषय की परीक्षा विद्यार्थियों को आंसर शीट में कार्य करते हुए फेल हुए अपात्र परीक्षार्थियों को उत्तीर्ण घोषित कर दिया। इस मामले में जब जांच समिति बनी तो इंजीनियरिंग की पीएचडी प्रवेश परीक्षा में 12 आंसर शीट में काट छांट पाई गई थी। कमेटी ने 12 रोल नंबर अपनी रिपोर्ट में शामिल किया था। इसमें से केमिकल इंजीनियरिंग में 220881 रोल नंबर भी शामिल था। लोकायुक्त ने पाया कि संबंधित अभ्यर की आंसर शीट में भी नंबर बढ़ाकर पास किया गया था। गौरतलब बात यह है कि कार्य परिषद के एजेंडे में केमिकल इंजीनियरिंग के इस रोल नंबर को षडयंत्र पूर्वक बदलकर 220841 कर दिया गया। इस एजेंडे पर तत्कालीन प्रभारी कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक के हस्ताक्षर भी हुए जिसके आधार पर लोकायुक्त ने पुराणिक को मामले में आरोपी बना दिया।

जांच अधिकारी बोले… अभी और भी हो सकते हैं आरोपी, जांच जारी

लोकायुक्त के जांच अधिकारी दीपक शेजवार ने इस संबंध में बताया कि मामले में और भी हो सकते हैं आरोपी। अभी जांच चल रही है, प्रकरण में आज ह्लतक आठ आरोपी बन चुके हैं। इनमें एक महिला आरोपी भी शामिल है। अभी जांच पूरी नहीं हुई है अभी और भी आरोपी बढ़ सकते हैं।

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