मध्य प्रदेश

सरकारी अस्पतालों में मरीज अब नि:शुल्क करा सकेंगे डिजिटल एक्स-रे, मेडिसिन विशेषज्ञ वाले सभी सिविल अस्पतालों में होगी डायलिसिस

स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया आदेश

भोपाल। प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में जहां डिजिटल एक्स- रे की सुविधा उपलब्ध है, वहां अब मरीजों को डिजिटल एक्स -रे कराने का शुल्क नहीं देना होगा। बल्कि उन्हें अब निशुल्क यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इस संबंध में प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने आदेश जारी कर दिया है। इसके अलावा प्रदेश में डायलिसिस सेवाओं में भी विस्तार करने की तैयारी है। जिसके तहत मेडिसिन विशेषज्ञ वाले सभी सिविल अस्पतालों में भी जल्द ही डायलिसिस की सुविधा मिलेगी। जबकि अभी सिर्फ सात सिविल अस्पताल समेत सभी जिला अस्पतालों में डायलिसिस की जा रही है।

स्वास्थ्य संचालक का उड़ रहा मजाक

संचालक स्वास्थ्य सेवाएं मप्र द्वारा रविवार को जारी आदेश में प्रदेश के सभी जिला स्वास्थ्य अधिकारियों एवं सिविल अस्पताल के अधीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं, कि मरीजों के डिजिटल एक्स रे निशुल्क किए जाएं। संचालक द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि प्रदेश के कुछ अस्पतालों में डिजिटल एक्स रे के लिए मरीजों से शुल्क लिए जाने की जानकारी उनके संज्ञान में आई है। जबकि हकीकत यह है कि राजधानी के ही जयप्रकाश अस्पताल सहित प्रदेश भर के सभी अस्पतालों में मरीजों से डिजिटल एक्स रे का शुल्क सालों से वसूला जा रहा है। शुल्क वसूलने वाले अमले का कहना है कि डिजिटल एक्स रे मशीन निजी एजेंसी की है। इसलिए शुल्क लिया जा रहा है। यह पूरी तरह स्वास्थ्य विभाग के सीएमएचओ, सिविल सर्जन से लेकर सभी वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान  में है। इसके बावजूद शुल्क वसूलने से अब तक अनभिज्ञ बन रहे स्वास्थ्य संचालक का यह आदेश बचकाना कृत्य मानकर विभागीय अधिकारी-कर्मचारी चुटकियां ले रहे हैं, क्योंकि जिन अस्पतालों में डिजिटल एक्सरे की सुविधा है, वहां शुल्क लेकर ही एक्सरे किए जा रहे हैं।

अभी निजी एजेंसी उपलब्ध करा रही सुविधा 

प्रदेश में निजी एजेंसी के माध्यम से यह सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। एजेंसी को प्रति डायलिसिस के मान से भुगतान किया जाता है। अभी मशीनें कम होने की वजह से कई जिला अस्पतालों में किडनी रोगियों की सप्ताह में एक या दो बार ही डायलिसिस हो पा रही है। पुराने रोगियों की ज्यादा संख्या होने की वजह से नए रोगियों में बहुत कम की ही डायलिसिस हो पा रही थी। इसके चलते उन्हें मजबूरी में निजी अस्पतालों में जाना पड़ता था। अब मशीनें बढऩे से बहुत हद तक यह डायलिसिस के मरीजों को सहूलियत हो जाएगी।

दोगुनी होंगी डायलिसिस मशीनें 

प्रदेश के जिला अस्पतालों में भी डायलिसिस मशीनों की संख्या बढ़ाई जा रही है। अभी प्रदेश में लगभग डेढ़ सौ मशीनें हैं, जिन्हें बढ़ाकर इस वर्ष 310 किया जाएगा। गौरतलब है कि प्रदेश में 2014 में पांच जिला अस्पतालों से डायलिसिस की सुविधा शुरू की गई थी। इसके बाद धीरे-धीरे सभी जिला अस्पतालों में इसका विस्तार किया गया। छोटे जिला अस्पतालों में दो-दो और बड़े जिलों के अस्पताल में पांच से 10 डायलिसिस मशीनें हैं। सरकारी जिला अस्पतालों में डायलिसिस सुविधाएं शुरू होने के बाद निजी मेडिकल कालेजों में डायलिसिस के लिए रोगियों का दबाव कम हुआ है। सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस नि:शुल्क की जा रही है, जबकि निजी अस्पतालों में एक बार के डायलिसिस का डेढ़ हजार से दो हजार रुपये शुल्क लगता है। सिविल अस्पताल तहसील, विकासखंड या जिला स्तर पर हैं, जहां डायलिसिस के जरूरतमंद लोगों को नजदीक में ही यह सुविधा मिल जाएगी।

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