नई दिल्ली (पंकज यादव) । एक तरफ चिताओं पर शवों का दाह संस्कार तो दूसरी तरफ ‘खेले मसाने में होली दिगंबर…’ की धुन पर जबरदस्त नाच गाना। काशी के महाश्मशान पर आयोजित बाबा चिता भस्म की होली खेली जा रही है। महादेव शिव की यह लीला रंगभरी एकादशी के ठीक अगले दिन मनाने की परंपरा रही है। महाश्मशान मणिकर्णिका घाट जहां युगों से चिताओं की आंच ठंडी नहीं पड़ी वहां रंग पर्व का उत्साह गुरुवार की सुबह से ही छलक पड़ा, लोगों की उमड़ी भीड़ ने कोरोना वायरस संक्रमण फैलने का अंदेशा बढ़ गया है।
महादेव शिव के भस्मांगरागाय महेश्वराय स्वरूप का दिव्य श्रृंगार घाट पर बाबा मशाननाथ का किया गया। सुबह से ही साज सज्जा और पूजन अनुष्ठान का दौर चला तो घाट भी महादेव के भस्म से सराबोर नजर आया। रागरागिनियां सजीं और सुरों की टेर खनक उठी। कोरोना वायरस के बीच फाग के राग गूंजे और महादेव शिव जीवन-मरण के दिव्य दर्शन को अपने भक्तों को उत्सव रचाकर समझाने भक्तों के बीच आ गए, आस्था में डूबे लोगों ने केंद्र सरकार की गाइडलान का पालन नहीं के बराबर किया। जिससे वैश्विक महामारी का फैलाव तेजी से होने की पूरी संभावना है।
मोक्ष की नगरी काशी में महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर यह अनूठा उत्सव देखने और उसमें शामिल होने के लिए समूची काशी के लोग सुबह से ही जुटने लगे। भारी भीड़ के आगे कोरोना का डर कहीं नहीं दिखाई दिया। अन्य राज्यों व देशों से आए पर्यटकों के लिए भी यह एक विस्मयकारी कौतूहल रहा। तमाम भूत-प्रेत पिशाच, यक्ष गंधर्व, किन्नर सभी बाबा की टोली में शामिल होकर मस्त-मलंग महाश्मशान की इस होली का आनंद लेने पहुंचे तो राग विराग की नगरी काशी भी निहाल हो गई। चिता भस्म की होली के पूर्व महाश्मशान नाथ की आरती की परंपरा का निर्वहन किया गया। संगीत घरानों के कलाकार बाबा की महिमा का गान करने पहुंचे।