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छत्तीसगढ़ में बिजली बिल हॉफ योजना होगी बंद, डिप्टी सीएम विजय शर्मा

कवर्धा। कांग्रेस ने पूर्व चुनाव में 400 यूनिट तक बिजली खपत पर हाफ बिल योजना की घोषणा की थी और उसे लागू भी किया. इस योजना से प्रत्येक घरेलू उपभोक्ताओं को 300 से लेकर 900 रुपए तक बिल में राहत मिलती है. योजना के लागू होने से अब तक घरेलू उपभोक्ताओं को 20 हजार से 45 हजार रुपए तक की बचत हो चुकी है, जो महंगाई के जमाने में बड़ी राहत है. अब उपमुख्यमंत्री शर्मा के एक बयान के बाद यह तय माना जा रहा है कि कांग्रेस सरकार की बिजली बिल हॉफ योजना पर ग्रहण लग जाएगा. भाजपा ने बिजली बिल को लेकर कोई वायदा भी नहीं किया है. इससे बिजली उपभोक्ताओं की चिंता अभी से बढ़ गई है.

डिप्टी सीएम बनने के बाद विजय शर्मा पहली बार अपने शहर कवर्धा गए थे. इस दौरान नगरवासियों, कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने उनका भव्य स्वागत किया. लोगों में उनके स्वागत को लेकर गजब का उत्साह था. कबीरधाम जिले के वनांचल से लेकर मैदानी क्षेत्र के ग्रामीण, समाजसेवी और आम जनता स्वागत के लिए पहुंचे थे.

प्रदेश के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कांग्रेस पर तंज कसा है और पूर्व सरकार की कई योजनाओं को बंद करने का संकेत दिया है. उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की पैसे खाने वाली योजनाओं को बंद किया जाएगा. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, बिजली बिल हॉफ योजना अब बंद हो जाएगी, लेकिन बिजली हॉफ नहीं होगी. साथ ही नक्सलियों की गतिविधियों को लेकर भी उन्होंने बयान दिया है. Read More – CG में डायरिया का कहरः एक ही परिवार के 4 लोग पाए गए संक्रमित, अस्पाल में भर्ती, 3 दर्जन से अधिक लोगों का घर में चल रहा इलाज…

कवर्धा के गांधी मैदान में जन संवाद का कार्यक्रम भी रखा गया था. इस दौरान पत्रकारों से चर्चा करते हुए डिप्टी सीएम शर्मा ने कहा कि, 21 क्विंटल और 31 सौ रुपए धान की कीमत इसी साल से दी जाएगी. प्रदेश में नक्सलबाड़ी समस्या है, नक्सलवाद से शक्ति से निपटना चाहिए, उसमें संवाद की गुंजाइश नहीं है.

विजय शर्मा ने कहा कि, पूर्व सरकार की पैसे खाने वाली योजनाओं को बंद किया जाएगा. मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द होगा. वहीं, कवर्धा शहर के लिए उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार की ओर से कोई विकास कार्य नहीं कराया गया था, जो कार्य कराया गया वह भाजपा सरकार की स्वीकृति वाले कार्य को ही कराया गया. कोई नया कार्य शुरू नहीं कराया गया, केवल विकास की बातें कही गई, लेकिन विकास धरातल पर नहीं दिखी.

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