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सफर पर रवाना हुआ चंद्रयान-3, 50 दिन बाद चूमेगा चंद्रमा की सतह…

नई दिल्ली। इसरो ने चंद्रयान 2 की तरह ही चंद्रयान 3 के लैंडर को विक्रम और रोवर को प्रज्ञान नाम दिया है. चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग के बाद इसरो का सबसे पहला मकसद लैंडर की चांद की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग कराना होगा. 615 करोड़ की लागत से तैयार हुआ ये मिशन करीब 50 दिन की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडिंग करेगा. ‘चंद्रयान-3’ को भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसे पहले GSLV MK-III के नाम से जाना जाता था.

भारत के तीसरे मून मिशन ‘चंद्रयान-3’ (Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग हो गई है. चंद्रयान-3 ने आज निर्धारित समय दोपहर 2:35 बजे चंद्रमा की ओर उड़ान भर ली है. इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा गया है. लॉन्च देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग श्रीहरिकोटा पहुंचे हैं.

चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग 23-24 अगस्त को रखी गई है लेकिन वहां सूर्योदय की स्थिति को देखते हुए इसमें बदलाव हो सकता है. अगर सूर्योदय में देरी होती है तो इसरो लैंडिंग का समय बढ़ाकर इसे सितम्बर में कर सकता है. चंद्रयान-3 धरती से चांद की 3.84 लाख किमी की दूरी 40 दिनों में तय करेगा. लॉन्चिंग के बाद रॉकेट इसे पृथ्वी के बाहरी ऑर्बिट तक ले जाएगा. इस दौरान रॉकेट 36 हजार किमी/घंटे की अधिकतम रफ्तार तक सफर करेगा. इसे पूरा करने में इसे 16 मिनट लगेंगे.

पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा, जहां तक भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र का सवाल है, 14 जुलाई, 2023 हमेशा सुनहरे अक्षरों में अंकित रहेगा. हमारा तीसरा चंद्र मिशन, चंद्रयान-3, अपनी यात्रा पर निकलेगा. यह उल्लेखनीय मिशन हमारे राष्ट्र की आशाओं और सपनों को आगे बढ़ाएगा. गौरतलब बात है कि 60 और 70 के दशक में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शुरू हुई स्पेस रेस के चलते अपोलो मिशन के अंतर्गत अमेरिका ने साल 1969 में अपने दो एस्ट्रोनॉट नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन को चांद की सतह पर उतारा. इसके बाद कई अपोलो मिशन चांद पर भेजे गए.

 

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