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मणिपुर हिंसा सांप्रदायिक मतभेद की वजह से हुई, किरेन रिजिजू बोले- दिया गया शांति प्रस्ताव, होगी जरूरी कार्रवाई…

इम्फाल । मणिपुर में मेतई समुदाय और कुकी समुदाय के बीच 3 मई से शुरू हुई हिंसा को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार पूरी कोशिश कर रही है। राज्य में अभी भी सेना मौजूद है। 10 जून तक राज्य में इंटरनेट सेवा भी बंद कर दिया गया है। इस हिंसा में अभी तक 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

हिंसा को लेकर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद चार दिनों तक यहां (मणिपुर) रहे और दोनों समूहों से यथास्थिति बनाए रखने की अपील की।” उन्होंने आगे कहा कि इस हिंसा में शामिल कई लोगों ने आत्मसमर्पण भी किया है।”

बता दें कि मणिपुर में हिंसा भड़कने के पीछे सबसे बड़ी वजह हाईकोर्ट के द्वारा मैती समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग को स्वीकार करना है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद मैती समुदाय निशाने पर आ गया। फैसले के बाद राज्य में हिंसा भड़क उठी। सेना की तैनाती के बावजूद 35 हजार से अधिक लोगों को पलायन करना पड़ा।

बताते चलें की मैती एक हिंदू समुदाय है। इस समुदाय की जनसंख्या करीब 53 प्रतशत है, लेकिन यह समुदाया राज्य के 10 प्रतिशत क्षेत्र में ही रह सकता है। वहीं, राज्या में कुकी और नगा समुदाय के लोगों की आबादी 40 प्रतिशत है। ये मणिपुर के कुल क्षेत्रफल के 90 प्रतिशत हिस्से में रहते हैं।

मणिपुर को साल 1972 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था। यहां की कुल आबादी 28 लाख 56 हजार है। राज्य में कुल 16 जिले हैं। यहां की 60 विधानसभा सीटों में से 19 सीटें आरक्षित हैं। मणिपुर में दो लोकसभा और एक राज्यसभा सीट है।

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