मध्य प्रदेश

भाजपा के मोहन यादव का विवादों से पुराना नाता, जानिए किस मामले में लगा दाग ? कांग्रेस बोली- बीजेपी ने की भ्रष्टाचार की ताजपोशी….

इंदौर। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव खत्म होने के एक हफ्ते बाद प्रदेश की जनता को मोहन यादव के रूप में नए मुख्यमंत्री मिल गए हैं। वहीं सीएम मोहन यादव के विवाद का एक और मामला सामने आया था साल 2020 में जहां उपचुनाव में उन्होंने विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि हम भाजपा के लोग है। बुरा करने वालों को जमीन में दफना देते है। इसके बाद चुनाव आयोग ने उनके चुनाव प्रचार पर एक दिन की रोक लगाई थी। एक बार नगरीय निकाय चुनाव में यादव की चुनाव प्रचार के दौरान नोट बांटने की तस्वीर भी चर्चा में रही थी। इसकी शिकायत कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से की थी।

संघ पृष्ठभूमि से आने वाले और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के करीबी मोहन यादव को प्रदेश का नया मुखिया नियुक्त करने के बाद पार्टी में नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है। इस बीच मुख्यमंत्री नियुक्त होने के बाद उनके कुछ पुराने विवाद भी सामने आए हैं जिसे कांग्रेस मुद्दा बनाने के मूड़ में नजर आ रही है।

कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पियूष बबेले ने भी सोशल मीडिया पर लिखा- मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार की ताजपोशी। जिन मोहन यादव पर सिंहस्थ घोटाले के दाग, उन्हें ही बनाया जा रहा सीएम।

दरअसल नवनियुक्त सीएम मोहन यादव के ऊपर कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन नगरी के सिंहस्थ मेला क्षेत्र के ग्राम जीवनखेड़ी, सांवराखेड़ी और दाउदखेड़ी की जमीन को नए मास्टर प्लान में आवासीय करवाने का प्रयास किया जा रहा है। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सरकार के कैबिनेट मंत्री मोहन यादव को लेकर कहा गया था कि सिंहस्थ मेला क्षेत्र की जमीन को मेला के बाद आवासीय करने प्लॉट काट दिया जाता है।

कहा गया था कि सिंहस्थ मेला के लिए 872 एकड़ जमीन में से 185 एकड़ की जमीन का लैंड यूज बदलकर कृषि की जगह आवासीय बता दिया गया था। साथ ही 29 एकड़ जमीन मोहन यादव, उनकी बहन, पत्नी और नौकरों के नाम से ली गई थी। वहीं इस विवाद के बाद शिवराज सिंह चौहान को जमीन फिर से मेला क्षेत्र में शामिल करने के निर्देश देने पड़े थे।

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