दुनिया

बरेहंडा में बसंत पंचमी को मनाया गया स्कूल दिवस के रूप में

स्कूलों में भयरहित स्वतंत्र अभिव्यक्ति ही ‘शिक्षा का गणतंत्र’

अतर्रा (बांदा)। समाज में आज हर माता-पिता अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर व बड़ा आफिसर बनाना चाहते हैं लेकिन कोई भी अपने बच्चे को एक अच्छा नागरिक या अच्छा व्यक्ति के रूप में निर्माण करना नहीं चाहता। विचार करने की जरूरत है कि शिक्षा क्यों है, किसके लिए है। शिक्षा जानना है, नया सीखना है और जो सीखा है उसे अपने कार्य व्यवहार में उतारना है और जो भी हमारे समाज में आदर्श है वैसा बनना है‌‌। हमने  बहुत कुछ जान लिया लेकिन उस जाने हुए को दूसरों को समझाया नहीं तो हमारा जानना किसी काम का नहीं। सभी को साथ लेकर आगे बढ़ने का काम आना चाहिए और यह काम शिक्षा के द्वारा ही संभव होगा ।

उक्त विचार शैक्षिक संवाद मंच, बांदा  द्वारा ‘शिक्षा का गणतंत्र’ अंतर्गत  बसंत पंचमी को पू.मा.वि. बरेहंडा में आयोजित स्कूल दिवस उत्सव में अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान, चित्रकूट के संस्थापक गोपाल भाई ने व्यक्त किये। गोपाल भाई ने आगे कहा कि हर व्यक्ति मान-सम्मान चाहता है। वह अहंकार के पोषण में लगा हुआ है। शिक्षा के द्वारा ही अहंकार से मुक्ति संभव है। स्कूल समाज के प्रेरणा केंद्र के रूप में स्थापित हो, जहां हर बच्चे के अनुभव को स्थान मिले। समुदाय को भी स्कूल को अपना ही एक घटक स्वीकार करते हुए उसकी बेहतरी के लिए शिक्षकों के साथ हमेशा खड़ा होना चाहिए। एक लोकतांत्रिक स्कूल ही श्रेष्ठ नागरिक के रूप में बच्चों का निर्माण कर सकेगा जो शिक्षा का गणतंत्र की यात्रा को आगे बढ़ाएंगे। इसके पूर्व अतिथियों में सुरेश रैकवार, गोपाल भाई, मीरा वर्मा एवं रामकिशोर पांडेय द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा का अनावरण कर पूजा अर्चना की गई और दीप प्रज्वलन किया गया।

राम किशोर पांडे ने कहा की दुनिया में तमाम प्रकार के दिवस मनाए जाते हैं लेकिन स्कूल के लिए कोई विशेष दिन नहीं है। इसलिए शैक्षिक संवाद मंच एवं शिक्षक संदर्भ समूह भोपाल द्वारा यह तय किया गया कि बसंत पंचमी को स्कूल दिवस के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाए।  स्कूल दिवस मनाने का उद्देश्य समुदाय, शिक्षक और बच्चों के साथ एक खुला संवाद करना है ताकि सभी अपने मन की बात निर्भय होकर कह सकें। समाज को स्कूल से क्या अपेक्षाएं हैं और स्कूल समुदाय से क्या चाहता है यह जानना जरूरी है।

शिक्षा का गणतंत्र को एक अभियान के रूप में लिया है जिसमें बच्चे बिना डर भय के न केवल अपनी बात- सुझाव रख सकें,  साथ ही स्कूल को एक लोकतांत्रिक प्रकृति में ढाल  सकें। वास्तव में स्कूल दिवस स्कूल के महत्व को रेखांकित करता है। शिक्षक संदर्भ समूह,मध्य प्रदेश के संयोजक एवं एनसीईआरटी के पूर्व सदस्य दामोदर जैन के बसंत पंचमी को स्कूल दिवस के रूप में मनाने के प्रस्ताव पर बांदा (उ.प्र.) सहित मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में इस वर्ष स्कूल दिवस मनाया जा रहा है।

इस अवसर पर उपस्थित नवाचारी शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अपने अनुभवों को साझा किया। मीरा वर्मा ने बताया की अपने स्कूल में बच्चों को सामाजिक विषय पढ़ाते हुए उन्हें स्वयं प्रश्न बनाने और उत्तर खोजने को प्रेरित किया ‌ साथ ही गांव के स्थानीय इतिहास और भूगोल अंतर्गत मिट्टी, फसलें, पशु, पेड़- पौधों के बारे में बच्चों के स्थानीय ज्ञान को विषय से जोड़कर शिक्षण को गति दी। जिसका परिणाम यह हुआ के बच्चे सामाजिक विषय को अपने दैनंदिन एवं परिवेशीय जीवन से जोड़ सके।

बच्चों ने अपने अनुभव लिखे जो पत्रिकाओं में छपे, साथ ही बच्चों ने स्कूल को अपनापन दिया और बिना चहारदीवारी के ही वृक्ष एवं पौधे सफलतापूर्वक लगाए। चंद्रशेखर जी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि मंच की स्थापना समय से ही जुड़ा हूं और मंच द्वारा प्राप्त मार्गदर्शन एवं कार्यशालाओं के माध्यम से अर्जित समझ को स्कूल तक ले जा रहा हूं। पुरातन छात्रों ने भी विचार व्यक्त करते हुए कहा कि  स्कूल दिवस के अवसर पर हम चाहते हैं कि स्कूल हमारे लिए प्रकाश स्तंभ की भांति काम करे।

पल्लवी सिंह ने बात रखी कि जीवन में जिस अवस्था में जो काम करना जरूरी होता है उसे जरूर करना चाहिए। बचपन कुछ नया सीखने समझने के लिए है इसलिए सीखने के अवसर खोजते रहना चाहिए और यह खोजने का भाव इस स्कूल से प्राप्त हुआ है।  रोशनी ने कहा कि यदि समाज को सकारात्मक बदलाव के लिए प्रेरित करना है तो हमें स्वयं को बदलना होगा। यदि हम बदलेंगे तो गांव स्वयं ही बदल जाएगा।  इसलिए जो करने योग्य काम है उसे करें जो त्यागने योग्य है उसको छोड़ कर आगे बढ़ें। बरगढ़ क्षेत्र में समाज सेवा संस्थान द्वारा संचालित शिक्षा प्रोजेक्ट के कोऑर्डिनेटर गौरी शंकर और देशराज ने कहा कि स्कूल दिवस मनाने की संकल्पना सामाजिक बदलाव की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। छोटे-छोटे बदलाव और प्रयास बड़ा रूप ग्रहण करते हैं।

पूर्व मा.वि. बरेहंडा ने शिक्षा के क्षेत्र में एक आदर्श स्थापित किया है। यहां आकर हम शिक्षा के यथार्थ को समझ पाए और खुश हैं।अपने बच्चों एवं शिक्षकों के साथ एक दिन यहां आकर संवाद करेंगे। शिक्षिका निशा वर्मा ने कहा कि मैंने चुनौतियों से जूझते हुए अपने स्कूल को हरा भरा किया है और शैक्षिक वातावरण बेहतर बनाया है। यही कारण है कि गांव के लोगों का विश्वास स्कूल के प्रति बढ़ा है। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि विनोद यादव ने कहा कि स्कूल के विकास के लिए जो भी संभव होगा प्रधान जी द्वारा सहयोग किया जाएगा। इसी कड़ी में 8 किलोवाट का जनरेटर स्कूल को 26 जनवरी के दिन भेंट किया गया है। कमरों एवं हाल में टाइल्स का काम हुआ है। जल्दी ही कुछ अन्य काम भी शुरू किए जाएंगे। युवा कवयित्री रीना सिंह द्वारा कविता पाठ किया गया।

स्कूल दिवस उत्सव में रसोईयों को उपहार देकर प्रोत्साहित किया गया। स्कूल द्वारा सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक रामदयाल कुशवाहा एवं गोपाल भाई को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रमोद दीक्षित मलय ने कहा कि स्कूल का काम तर्कशील एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण संपन्न व्यक्ति का निर्माण करना है। स्कूलों में बदलाव शिक्षकों द्वारा ही संभव है। शिक्षकों को बच्चों की क्षमताओं में विश्वास करना होगा और उन्हें  काम करने की आजादी एवं जगह देनी होगी।

 स्कूल दिवस उत्सव के प्रथम सत्र  में दीवार पत्रिका एवं विज्ञान प्रदर्शनी का उद्घाटन गोपाल भाई एवं शिक्षक साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय द्वारा किया गया दीवार पत्रिका के बाद संपादक ने बताया कि बच्चों की रचनाएं चकमक, हिमालय प्रयास सहित अन्य पत्र-पत्रिकाओं में छप रही है। विज्ञान प्रदर्शनी में बच्चों द्वारा विज्ञान के उपकरणों के साथ ही विज्ञान के कुछ मॉडल्स भी प्रदर्शित किए गए थे।

सामाजिक विषय अंतर्गत बच्चों ने कृषि, मिट्टी,जल, वर्षा, वन आदि पर आधारित जीवन्त चार्ट माडल तैयार किए थे जिन्हें देखते ही समझा जा सकता है कि भारतवर्ष में किस क्षेत्र में कब कौन सी फसल और जलवायु होती है‌ स्थानीय ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि स्कूल में उसे स्थान और सम्मान मिले। इस दृष्टि से गांव में परंपरागत कला को आधार बनाकर बच्चों ने कांस,प्लास्टिक पन्नी,चूड़ी, मोती,  सुतली,  कागज आदि से विभिन्न प्रकार की शोभा कारी उपयोगी वस्तुएं यथा डलिया, साबुनदानी,शोकेस, संदूक, झालर आदि का निर्माण किया था‌ अतिथियों द्वारा प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया और बच्चों से खूब बातचीत की गई।

बच्चों के कौशल कल्पना एवं अभिव्यक्ति से सभी गदगद हुए और भूरि-भूरि प्रशंसा की राजस्थान के तरुण भारत संघ से आए सुरेश रैकवार ने बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि यह छोटे-छोटे काम करने से ही आत्मविश्वास पैदा होता है जो बड़े कामों के लिए आधार बनता है। काम करने की खुशी बच्चों के चेहरे पर देखी जा सकती है ।

कार्यक्रम पश्चात स्कूल द्वारा आयोजित सहभोज में पूड़ी-सब्जी,  खीर, सलाद,  रायता का आनंद लिया गया। विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले बच्चों को पेन, पेंसिल,पटरी, रबड़, कटर आदि लेखन सामग्री देकर पुरस्कृत किया गया।

स्कूल दिवस उत्सव में स्कूल के अध्यापकों, स्कूल प्रबंध समिति के सदस्यों,अभिभावकों का भरपूर सहयोग रहा। शिव करण सिंह, गोपाल गुप्ता, अरविंद दुबे,शिव प्रताप सिंह, ओम प्रकाश मिश्रा, विनय गौतम, गोमती, ममता, केवकली, आशा, सत्येंद्र, सोनू, अंकित, गोरेलाल, जनक सहित 200 से अधिक बच्चे, स्त्री-पुरुष अभिभावक उपस्थित थे।

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