छत्तीसगढ़बिलासपुर

जमीन पर कब्जे के 400 मामले, रेवेन्यू केस की पेंडेंसी में राज्य में पांचवां नंबर, सीएम हुए खफा ….

बिलासपुर ।भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में आए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करीब 38 घंटे बिलासपुर जिले में रहे। वे 17 जनवरी की रात 9.30 बजे से लेकर 19 जनवरी की सुबह 11.30 बजे तक रहे। जाने से पहले जिले की कानून व्यवस्था और जमीन की गड़बडिय़ों को लेकर जो सवाल मुख्यमंत्री ने उठाए, जो नाराजगी दिखाई और सीधे तौर पर कार्रवाई की चेतावनी दी, उसकी पीछे बड़ी वजह है। भास्कर ने अपनी पड़ताल में पाया कि रेवेन्यू कोर्ट में ही लगभग 400 मामले जमीन पर कब्जे व जमीन मालिक को उनकी जमीन पर कब्जा दिलाने के पेंडिंग हैं। निगम क्षेत्र में ही अवैध प्लाटिंग के 200 से ज्यादा मामले पेंडिंग हैं और निगम के जिला पंजीयक को पत्र लिखने के बावजूद अवैध प्लाटिंग की रजिस्ट्री हो रही है।

जाने से पहले उन्होंने जमीन के कब्जे, गुंडागर्दी और चाकूबाजी के मामले बढ़ने को राजस्व और पुलिस विभाग की नाकामी बताते हुए कलेक्टर सौरभ कुमार और एसएसपी पारुल माथुर से कहा कि ये सब नहीं रुका तो राजस्व और पुलिस विभाग के अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

केवल 150 को नोटिस तो केवल 5 के खिलाफ जुर्म दर्ज हो सका है। रेवेन्यू कोर्ट में केस की पेंडेंसी की हालत बेहद खराब है। राज्य में जिला पेंडेंसी के मामले में 5वें नंबर पर है। लोकसेवा गारंटी के 640 मामले लंबित हैं। मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया था कि जंगल इलाके में जाति प्रमाणपत्र की शिकायत नहीं हैं और यहां ये शिकायतें आ रही है। बता दें कि जिले में जाति प्रमाण पत्र बनाने के एसटी-एससी के 818 तो पिछड़ा वर्ग के 896 मामले सहित 1714 केस पेंडिंग हैं।

लोकसेवा गारंटी में पिछले एक साल से 640 मामले पेंडिंग हैं। इसमें सबसे ज्यादा 450 मामले विवादित नामांतरण के हैं। 55 विवादित खाता विभाजन, 106 सीमांकन के मामले पेंडिंग हैं। बता दें कि लोक सेवा गारंटी अधिनियम इसलिए बनाया गया है ताकि समय सीमा में मामलों का निराकरण किया जा सके।

नए व पुराने जिलों को मिलाकर इनकी संख्या 33 है। रेवेन्यू कोर्ट में सबसे ज्यादा मामले 8954 रायपुर, फिर 8808 दुर्ग, इसके बाद 7101 महासमुंद तो फिर 6483 केस सरगुजा जिले में पेंडिंग हैं।सर्वाधिक 6337 केस बिलासपुर जिले में पेंडिंग हैं। राजस्व न्यायालयों में सबसे ज्यादा मामले विवादित नामांतरण, सीमांकन व विभाजन के हैं।

पंचायतों में पंचायत सचिवों के विभिन्न तरह के गड़बडिय़ों के मामले हैं जिसमें सरकारी राशि में गफलत,योजना में गड़बड़ी और अनुशासनहीनता जैसे कई मामले सामने आए हैं। इनमें से अब तक 35 पंचायत सचिवों की शिकायत आई है जिसमें 25 पर कार्रवाई हो चुकी है। अब तक 8 पटवारियों की शिकायत आई जिसमें से 3 पर कार्रवाई हो चुकी है।

15 गांवों और 3 निकायों के निगम में शामिल होने के बाद निगम का दायरा 137 वर्ग किमी हो गया। दायरा बढ़ने के साथ ही अवैध प्लाटिंग भी बढ़ गई है। आउटर में बड़े पैमाने पर अवैध प्लाटिंग हो रही है। निगम के रिकॉर्ड में अवैध प्लाटिंग के 200 से अधिक मामले हैं, जिसमें करीब 150 मामलों में नोटिस जारी किया गया है। अब तक सिर्फ 5 के खिलाफ ही एफआईआर कराई गई है। निगम ने जिला पंजीयक को पत्र लिखकर अवैध प्लाटिंग के 141 मामलें में रजिस्ट्री नहीं करने को कहा है। 141 मामलों में खसरा नंबर भी दिया गया है, इसके बावजूद रजिस्ट्री हो रही है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि तहसील कार्यालय, नगर एवं ग्राम निवेश और रजिस्ट्री कार्यालय के अधिकारियों के सहयोग के बिना कार्रवाई नहीं की जा सकती। निगम की ओर से लिखी चिट्ठी सभी दफ्तरों में घूम रही है।

भेंट मुलाकात के दौरान तखतपुर विधानसभा के चार स्कूलों में शिक्षक स्कूल नहीं आने की शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से की गई। शिक्षा विभाग के चारों ब्लाक में यही हालत है। सरपंच और समितियों के द्वारा कई बार फोन से शिक्षकों के समय पर स्कूल नहीं आने की शिकायत की जाती है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इन शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेते हैं। जब वे निरीक्षण करने जाते हैं तो शिक्षकों को पहले ही पता चल जाता है और वे उस दिन स्कूल समय पर पहुंच जाते हैं।

जिले के राजस्व न्यायालयों में नामांतरण, सीमांकन सहित इसी तरह के अन्य राजस्व मामलों की पेंडेंसी की हालत बेहद खराब है। विवादित नामांतरण के 2641, विवादित खाता विभाजन के 419, भू-अभिलेख संबंधी कागजों में गलत प्रविष्टि में सुधार के 899 केस पेंडिंग हैं। इतना ही नहीं अवैध रूप से भूमि पर कब्जा करने वाले लोगों की बेदखली और उन पर शास्ती लगाने के 215 मामले कोर्ट में पेंडिंग हैं। वैसे तो कई लोगों ने अनुचित रूप से लोगों की जमीन पर कब्जा कर रखा है। जो जमीन के मालिक हैं, उन्हें बेदखल कर दिया गया है। उन्होंने रेवेन्यू कोर्ट में कब्जा वापस दिलाने की मांग की है। ऐसे 179 मामले अभी तक पेंडिंग हैं।

“जिनकी भी शिकायतें आई हैं, उनकी जांच करवा रहे हैं। यहां पर मुख्तियारनामा बनाकर जमीन बेचने का ट्रेंड देखने को मिलता है। जाति प्रमाण पत्र तेजी से बनवाने का प्रयास कर रहे हैं।” – आरए कुरुवंशी, एडीएम, बिलासपुर

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