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शिक्षा के जरिए समाज में सहिष्णुता-सौहार्द्र जैसी भावनाओं का विकास होता है: राज्यपाल उइके

रायपुर। राज्यपाल उइके ‘शिक्षा सम्मान समारोह’ में हुई शामिलराज्यपाल अनुसुईया उइके आज समूह के ‘शिक्षा सम्मान’ समारोह में शामिल हुई। उन्होंने समारोह में प्रदेशभर के विश्वविद्यालयों, तकनीकी-गैर तकनीकी संस्थानों तथा कोचिंग संस्थान सहित कुल 38 शैक्षणिक इकाईयों को उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया। उल्लेखनीय है कि शिक्षा सम्मान में प्रदेश के उच्च शिक्षा से लेकर प्रारंभिक और प्राथमिकता शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले संस्थाओं को शामिल किया गया।

राज्यपाल ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि गुरुओं के मार्गदर्शन और शिक्षण संस्थानों के प्रयास न केवल समाज को मार्गदर्शित करती है बल्कि देश का भविष्य तय करती है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि मुझे प्राप्त शिक्षा-दीक्षा का परिणाम है कि मैं इस मुकाम तक पहुंच पाई हूँ। हमारी शिक्षा ही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। शिक्षा और संस्कार से निर्मित व्यवहार का ही परिणाम है कि व्यक्ति अपने दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन कर पाता है।

राज्यपाल ने कहा कि यह सर्वविदित है कि शिक्षा सामाजिक और व्यक्तिगत रूप से मानव जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। हम अपने जीवन में शिक्षा के महत्व को नजरअंदाज नहीं कर सकते। उचित शिक्षा हमें व्यक्तिगत और सामाजिक मानकों को बनाए रखने में मदद करती है। इसलिए आधुनिक शिक्षा पद्धति में विज्ञान के साथ-साथ सामाजिक विज्ञान का समावेश और सामंजस्य होना बेहद आवश्यक है।

शिक्षा पद्धति में बदलावों की मांग के अनुरूप, नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने की राह पर है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा से ही सक्षम बनाने की कोशिश की गई है। जब हम सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए बच्चों के शैक्षणिक वातावरण को सकारात्मक और प्राकृतिक बनाएंगे तभी उनका व्यक्तित्व विकास बेहतर ढंग से हो पाएगा।

राज्यपाल उइके ने कहा कि हमारे देश में गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर, अरविन्दो, डॉ. राधाकृष्णन, डॉ. अबुल कलाम आजाद जैसे महान् शिक्षाविद् रहे हैं, जिन्होंने शिक्षकों के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। सभी शिक्षण संस्थाएं इस दिशा में कार्य करते हुए समाज के युवाओं को मार्गदर्शित करेंगे।

उन्होंने कहा कि हमें समझना होगा कि देश के विद्यार्थी ही हमारा भविष्य हैं तथा उनकी मौलिकता, कल्पनाशीलता ही हमारी अनमोल संपदा है। उनके जीवन को गढ़ने का महत्वपूर्ण दायित्व शिक्षकों और शैक्षणिक संस्थानों पर है। आधुनिक समय की मांग है कि शिक्षकों को, विद्यार्थियों से मित्र और मार्गदर्शक की तरह व्यवहार करना चाहिए। राज्यपाल उइके ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचार थे कि ‘हमें ऐसी शिक्षा चाहिए, जिससे चरित्र का निर्माण हो, मन की शांति बढ़े, बुद्धि का विकास हो और मनुष्य, अपने पैरों पर खड़ा हो सके।’

उन्होंने कहा कि शिक्षा के जरिए समाज में सहिष्णुता, सौहार्द्र और पारस्परिक सहयोग जैसी भावनाओं का विकास होता है। दूरदराज के क्षेत्रों में जागृति लाने में शिक्षा, महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। किन्तु इन क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार चुनौतीपूर्ण भी है। ऐसे अनेकों शिक्षक और शैक्षणिक संस्थान हैं, जो सुदूर अंचलों में असुविधाओं के बावजूद ज्ञान की रौशनी फैला रहे हैं।

ऐसे सभी शिक्षकों और संस्थाओं की उन्होंने सराहना भी की। राज्यपाल उइके ने कहा कि आवश्यकता इस बात की भी है कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद श्रेष्ठ विद्यार्थी, शिक्षक बनने के लिए आगे आयें, तभी शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य सार्थक हो पाएगा।

राज्यपाल उइके ने समूह को शिक्षा सम्मान कार्यक्रम के आयोजन के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह कार्यक्रम शैक्षणिक संस्थानों को अपने दायित्वों के निर्वहन के लिए और अधिक प्रोत्साहित व प्रेरित करेगा।

इस अवसर पर रायपुर नगर निगम के महापौर एजाज ढेबर, शासकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति व उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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