मध्य प्रदेश

उज्जैन में महाकाल को मुख्यमंत्री ने सौंपी कैबिनेट बैठक की कमान, कहा- बाबा महाकाल ही यहां के राजा, हम हैं सेवक …

भोपाल/उज्जैन। उज्जैन में मंगलवार को प्रदेश के इतिहास में पहली बार एक अलग नजारा देखने को मिला। पहली बार कैबिनेट बैठक उज्जैन में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता सीएम शिवराज ने बाबा महाकाल से करवाई। सीएम ने बैठक में मुख्य सीट पर बाबा महाकाल की तस्वीर रखवाई और खुद उसके बगल की सीट में बैठकर में शामिल हुए। बैठक में कैबिनेट ने विकास से जुड़ी कई योजनाओं को बाबा महाकाल ने मंजूरी दी। सीएम ने कैबिनेट बैठक के पहले कहा कि- महाकाल महाराज से सबके कल्याण की कामना करता हूं। महाकाल महाराज यहां के राजा हैं, हम लोग सेवक हैं। सेवक के नाते हम लोग महाकाल महाराज से प्रार्थना कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में कई राज्यों के मुख्यमंत्री आते हैं, लेकिन यहां कोई भी रात को नहीं रुकता। उज्जैन के महाराजा बाबा महाकाल हैं, इसलिए यहां कोई दूसरा खुद को राजा मानने की भूल नहीं करता। कहा जाता है कि उज्जैन में दो राजा एक साथ नहीं रुक सकते। इसलिए जो भी व्यक्ति शासक होता है, वह कभी भी उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करता।

ऐसी मान्यता है कि जो भी शासक रात में उज्जैन में रुकता है, उसकी सत्ता चली जाती है। देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई उज्जैन में एक रात रुके थे। उसके बाद उनकी कुर्सी चली गई थी। यहीं वजह है कि मंगलवार को सीएम शिवराज सिंह ने बैठक की अध्यक्षता से इनकार कर एक नई परंपरा शुरू की और कैबिनेट बैठक की कमान बाबा महाकाल को सौंपी।

कुछ साल पहले सिंहस्थ मेले में प्रदेश सरकार ने तीन दिवसीय सम्मेलन कराया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे। तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने रहने के लिए आयोजन स्थल के पास मिट्टी की कुटिया बनवाई थी। आयोजन स्थल ग्राम निनौरा में किया गया था, जो उज्जैन की सीमा से बाहर है।

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर राजपरिवार से हैं। उज्जैन पहले सिंधिया रियासत में शामिल था। लेकिन, सिंधिया राजपरिवार का कोई भी सदस्य कभी उज्जैन में रात को नहीं ठहरता। सिंधिया राजपरिवार का एक पैलेस भी उज्जैन की सीमा के बाहर बना है। दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह राघौगढ़ राजघराने से आते हैं, वह भी कभी उज्जैन में रात नहीं रुकते।

मालवा की शासिका रही राजमाता देवी अहिल्या बाई होलकर भगवान शिव की अनन्य उपासक थीं। पति और ससुर की मौत के बाद जब उन्हें सत्ता मिली तो उन्होंने राजगादी भगवान शिव को समर्पित कर दी। वह अपने हर आदेश में लिखा करती थी ‘हुजूर शंकर ऑर्डर…’ उनके राज के सिक्कों पर भी शिवलिंग अंकित होता था। अपने शासन काल के दौरान देवी अहिल्या बाई होलकर कभी राजगादी पर नहीं बैठीं। बल्कि, उन्होंने शिवलिंग को राजगादी पर विराजमान किया था। मंगलवार को कैबिनेट बैठक के दौरान भी कुछ ऐसा ही नजारा उज्जैन में दिखा।

 

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