लखनऊ/उत्तरप्रदेश

भारतीय जनता पार्टी को भीतरघात का सता रहा डर, हार से बचने सिटिंग विधायकों को टिकट देने बनाई रणनीति …

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में ऐंटी-इनकमबेंसी से निपटने के लिए भाजपा की ओर से बड़ी संख्या में अपने मौजूदा विधायकों के टिकट बांटने की चर्चाएं थीं लेकिन अब पार्टी अपनी रणनीति बदलती दिख रही है। भाजपा के एक नेता के हवाले से दावा किया है कि इस बार भी भाजपा बड़ी संख्या में मौजूदा विधायकों को ही टिकट दे सकती है। कुछ सीटों पर नए उम्मीदवार उतारे जा सकते हैं, लेकिन बड़ी संख्या में सिटिंग विधायक ही उतरेंगे। दरअसल टिकट काटने पर भाजपा को भीतरघात का डर है। ऐसे में उसने यह रणनीति बनाई है कि मौजूदा नेताओं को ही मौका दिया जाए और वोटर्स के बीच विकास के अजेंडे को ही आगे बढ़ाया जाए। शनिवार को होम मिनिस्टर अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग में भी इस बात का संकेत दिया था। उन्होने कहा था कि आप लोगों को नेताओं की बजाय पार्टी को तरजीह देनी चाहिए।

सूत्रों के मुताबिक भाजपा बड़ी संख्या में अपने मौजूदा विधायकों को ही उतारने की तैयारी में है। शायद इसकी वजह यह डर है कि मौजूदा विधायकों के टिकट काटने से पार्टी में भीतरघात की स्थिति हो जाएगी। ऐसे में पार्टी ने उन्हीं सीटों पर टिकट बदलने का प्लान बनाया है, जहां विधायक के प्रति बहुत ज्यादा गुस्सा हो। इसके अलावा उन सीटों पर नया उम्मीदवार दिया जा सकता है, जहां 2017 में जीत नहीं मिल पाई थी।

अमित शाह की इस नसीहत से साफ है कि पार्टी अपने ज्यादातर मौजूदा विधायकों को ही मैदान में उतारने वाली है। भाजपा ने 2017 में 312 सीटों पर जीत हासिल की थी। इनमें से कुछ सीटें विधायकों की मौत के चलते खाली हुई हैं। इसके अलावा कुछ सीटें सहयोगी दलों को समझौते के तहत दी जा सकती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा के चुनाव सह-प्रभारियों की ओर से एक रिपोर्ट तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में हर सीट पर तीन उम्मीदवारों के नाम तय किए गए हैं। इसी सप्ताह यह रिपोर्ट पार्टी लीडरशिप को सौंपी जाएगी और उसके बाद उन पर चर्चा शुरू होगी।

कई सीटों पर पार्टी विधायकों के खिलाफ लोगों में नाराजगी है और इस बात को रिपोर्ट में भी साझा किया गया है। भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘उन्हीं सीटों पर हम कैंडिडेट बदलने का प्लान बना रहे हैं, जहां मौजूदा विधायकों से ज्यादा मजबूत कोई अन्य कैंडिडेट है।’ उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना है। इसके लिए हम तमाम पहलुओं पर विचार कर रहे हैं। पार्टी हर सीट पर इस बात का भी आकलन कर रही है कि कैंडिडेट बदलने की स्थिति में उसे कितना नुकसान होगा।

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