मध्य प्रदेश

एमपी में केवल बैनर और कागजों में चल रहे 93 फर्जी नर्सिंग कॉलेज की मान्यता रद्द …

भोपाल। मध्यप्रदेश में हाईकोर्ट के आदेश पर फर्जी तरीके से चल रहे 93 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी गई है। इसमें भोपाल और इंदौर के नर्सिंग कॉलेज भी शामिल हैं। मप्र हाईकोर्ट जबलपुर ने इस मामले में सुनवाई करते हुए नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार सुनीता सिजू को सस्पेंड कर काउंसिल में प्रशासक नियुक्त करने के आदेश दिए थे। इसके बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने उप संचालक डॉ. योगेश शर्मा को नर्सिंग काउंसिल में प्रशासक नियुक्त किया है।

इस फर्जीवाड़े को लेकर हाईकोर्ट में जनवरी 2022 में एक याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि कोरोना कॉल से पहले वर्ष 2018-19 में प्रदेश में 448 प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज थे, लेकिन कोरोना के संकट में इनकी संख्या एक साल में ही तेजी से बढ़कर 667 हो गई। इस दौरान कोरोना के चलते अस्पतालों में मरीजों के लिए बिस्तर कम पड़ गए। लोग प्राथमिक उपचार के लिए तक तरस गए। तब सरकार द्वारा इन नर्सिंग कॉलेजों में मरीजों को भर्ती करने के निर्देश दिए गए, तब इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। दरअसल, नियमों के हिसाब से छात्रों को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग देने के लिए हर नर्सिंग कॉलेजों के पास खुद का न्यूनतम 100 बेड का पेरेंटल हॉस्पिटल होना चाहिए था, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर खोले गए इन नर्सिंग कॉलेजों के पास अस्पताल तो दूर, बिल्डिंग और मूलभूत संसाधन, फैकल्टी सब कागजों में ही दर्ज मिला था।

इस फर्जीवाड़े का खुलासा करने वाले लॉ स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष विशाल बघेल के अनुसार याचिका में हमने कोर्ट में हमारी एसोसिएशन के सदस्य लॉ छात्रों द्वारा खींचे गए नर्सिंग कॉलेजों के फोटो और तमाम सबूत भी पेश किए। साथ ही आरटीआई से मिले हुए दस्तावेज भी कोर्ट के सामने रखे। इसके बाद हाईकोर्ट द्वारा कॉलेजों की जांच कराई गई। जांच के दौरान नियमों को ताक पर रखकर मान्यता देने वाली मप्र नर्सिंग काउंसिल के अधिकारियों ने जांच में भी गड़बड़ी करने की कोशिश की और कोर्ट को इस वर्ष 2022 में नए खुले हुए सभी 49 कॉलेज नियमानुसार निरीक्षण कर जांच पड़ताल कर अनुमति देने का शपथ पत्र दिया। कोर्ट ने जब हमारे द्वारा पेश किए गए सबूत देखे तो नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार के शपथ पत्र के कथनों को संदिग्ध पाया। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें सस्पेंड करने के आदेश दिए हैं, जो कॉलेज इस जांच के कारण बंद होंगे, उसमें अध्ययनरत छात्रों के भविष्य को भी दांव पर नहीं लगने दिया जाएगा। काउंसिल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ऐसे समस्त छात्रों को अन्य कॉलेजों में स्थानांतरित किया जाएगा।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट को बताया गया कि नर्सिंग कॉलेजों में फैकल्टी के नाम पर भी जमकर फर्जीवाड़ा किया गया है। इन कॉलेजों में कई ऐसे फैकल्टी मिले हैं, जो एक ही सत्र के दौरान कई कॉलेजों में बतौर फैकल्टी दिखाए गए हैं। एक ही फैकल्टी का अलग-अलग रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज करके गड़बड़ी की गई है। इनमें भोपाल, इंदौर, जबलपुर, छतरपुर, बालाघाट, धार, खरगोन, पन्ना, विदिशा, टीकमगढ़, शहडोल, सिवनी, सीहोर, बड़वानी, बैतूल, नर्मदापुरम आदि जिलों के कॉलेज शामिल हैं। इनमें से कुछ कॉलेजों में दिल्ली, यूपी, राजस्थान और हरियाणा के छात्रों ने भी प्रवेश लिया था।

याचिकाकर्ता के अनुसार विष्णु कुमार स्वर्णकार- 2021-22 में मंडला के भरत इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग में प्रिंसिपल, इंदौर के जगदगुरु दत्तात्रेय कॉलेज ऑफ नर्सिंग में असिस्टेंट प्रोफेसर, जबलपुर के बंसल अकेडमी ऑफ नर्सिंग साइंस एंड लर्निंग में प्रिंसिपल, इंदौर के सफायर इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग एंड साइंस में प्रिंसिपल के तौर पर दर्ज मिले। शिवपुरी की पीके यूनिवर्सिटी (फैकल्टी ऑफ मेडिकल साइंस) में वाइस प्रिंसिपल के साथ ही अनूपपुर के पं. रामगोपाल तिवारी कॉलेज ऑफ नर्सिंग में भी वाइस प्रिंसिपल दर्ज थे। वहीं पवन कुमार शर्मा- सत्र 2021-22 में ग्वालियर के भास्कर कॉलेज ऑफ नर्सिंग में बतौर प्रिंसिपल दर्ज थे। इसी सत्र में पवन कुमार शर्मा ग्वालियर के ही बीआईपीएस कॉलेज ऑफ नर्सिंग में ट्यूटर दिखाए गए। इसी दौरान वे मुरैना के हिंदुस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग में वाइस प्रिंसिपल, इंदौर के परिजात नर्सिंग कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल, जबलपुर के ज्ञानदीप इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग साइंस में वाइस प्रिंसिपल, बैतूल के गोवर्धन कॉलेज एंड स्कूल ऑफ नर्सिंग में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर दर्ज मिले। इसी तरह मो. मजहर सत्र 2021-22 में ग्वालियर के बीआईपीएस कॉलेज ऑफ नर्सिंग में असिस्टेंट प्रोफेसर थे।

मामला मप्र हाईकोर्ट तक पहुंचने के बाद अभी मुख्य तौर पर सिर्फ दो प्वाइंट्स पर ही जांच कराई गई है। नर्सिंग कॉलेजों में बिल्डिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी की जांच में ही भारी गड़बड़ियां मिल चुकी हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि यदि इन नर्सिंग कॉलेजों की बारीकी से जांच कराई गई तो अस्पतालों का फर्जीवाड़ा भी सामने आ जाएगा।

भोपाल के इनायतपुर में संचालित कुशाभाऊ ठाकरे नर्सिंग कॉलेज की मान्यता भी रद्द की गई है। इस कॉलेज में अस्पताल भी संचालित बताया गया है। जब यहां जाकर देखा तो हॉस्पिटल के नाम सिर्फ बेड डले हैं। एक भी मरीज अस्पताल में भर्ती नहीं मिला। कोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक भोपाल के अपेक्स नर्सिंग कॉलेज के पते पर सिर्फ एक बैनर लगा हुआ है। भोपाल के ही आरकेएस नर्सिंग कॉलेज को एक मकान में संचालित किया जा रहा है।

इन कॉलेजों की मान्यता की गई रद्द

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