मध्य प्रदेश

इस माह के आखिर तक हो सकती है जिला सहकारी बैंकों में राजनीतिक नियुक्तियां, 10 साल से नहीं हुए चुनाव

प्रदेश की सभी 23000 ग्राम पंचायतों में प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी समिति का गठन

भोपाल। मप्र में विधानसभा के आम चुनाव से कुछ महीने पहले राज्य सरकार अपने पार्टी के नेताओं को एडजस्ट करने में जुटी है। इसी कड़ी में जिला सहकारी मर्यादित बैंकों में तदर्थ समितियों के प्रमुख की घोषणा भी इसी महीने के आखिर तक हो सकती है। वहीं प्रदेश के अनेक सहकारी नेता अपेक्स बैंक अध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं, इनमें विदिशा के सांसद रमाकांत भार्गव का नाम भी बताया जा रहा है, भार्गव सीएम शिवराज सिंह चौहान के खास हैं।

प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी समितियों के चुनाव पिछले 10 साल से नहीं हुए हैं। वहीं पिछले 8 वर्षों से अपेक्स बैंक और जिला बैंकों के चुनाव नहीं हुए हैं। केंद्र सरकार द्वारा जो नया सर्कुलर भेजा गया है। उसके अनुसार हर ग्राम पंचायत में प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी समिति (पैक्स) होना चाहिए। मध्य प्रदेश में लगभग 23000 ग्राम पंचायत हैं। अभी सहकारिता विभाग में केवल 4500 पेक्स हैं। पिछले 8 वर्षों से अपेक्स और जिला बैंकों के चुनाव नहीं हुए हैं। केंद्र सरकार के नए नियम के अनुसार जब तक सभी ग्राम पंचायतों में प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी समिति (पैक्स) का गठन नहीं होगा, तब तक बैंकों के चुनाव नहीं होंगे। प्राथमिक सहकारी समितियों के चुनाव होने के बाद ही बैंकों की चुनाव हो सकते हैं। तब तक बैंकों के चुनाव भी संभव नहीं होंगे। इसका रास्ता सरकार ने तदर्थ समितियां और पदाधिकारी नियुक्त कर निकाल लिया है। इस तरह सरकार ने सहकारिता की सभी संस्थाओं पर काबिज होने की तैयारी कर ली है।

विदिशा सांसद रमाकांत भार्गव होंगे अपेक्स बैंक अध्यक्ष, जिला सहकारी बैंक अध्यक्षों के नाम भी तय

मध्यप्रदेश के अपेक्स बैंक और 38 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों में राजनीतिक नियुक्तियों की तैयारी कर ली गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सबसे भरोसेमंद विदिशा के सांसद रमाकांत भार्गव को अपेक्स बैंक का अध्यक्ष बनाया जा रहा है। उन्हें नागरिक बैंकों के फेडरेशन से प्रतिनिधि बनाकर, अपेक्स बैंक का अध्यक्ष बनाया जायेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा की कमेटी ने रमाकांत भार्गव के नाम को सहमति दे दी है। इसके अलावा 38 जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष मे 17 जिला बैंकों के लिए अध्यक्ष पद के लिए नाम तय हो गए हैं। 21 जिलों के नाम पर चर्चा की जा रही हैं। जानकारी के अनुसार जिला सहकारी बेंकों के अध्यक्ष पद के लिए जो नाम तय किए गए हैं। उनमें देवास से नंदकिशोर पाटीदार, शाजापुर से शिवनारायण पाटीदार, उज्जैन से किशन भटोल, रतलाम से केके सिंह, (महेंद्र सिंह कालूखेड़ा के भाई हैं) खरगोन से रंजीत रंडीर, इंदौर से उमा नारायण पटेल, खंडवा से राजपाल सिंह तोमर, भोपाल से गोपाल मीणा, होशंगाबाद से संतोष पारीख, ग्वालियर से जितेंद्र रावत, मुरैना से महेश मिश्रा, भिंड से अशोक बघेल, मंदसौर से अनिल कियावत, रीवा से राम सिंह, टीकमगढ़ से गणेश नायक, दमोह से राजेंद्र गुरु, विदिशा से श्याम सुंदर शर्मा का नाम फाइनल हो गया है। बचे हुए 21 नामों पर अभी सहमति नहीं बन पाई है। जल्द ही सहमति बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

सहकारी संस्थाओं पर संघ के कब्जे की तैयारी

मध्य प्रदेश की 23000 प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी समिति, मध्य प्रदेश के 38 जिला सहकारी बैंकों तथा मध्य प्रदेश के अपेक्स बैंक में सुनियोजित रूप से तदर्थ तरीके से संघ और भाजपा का कब्जा होने जा रहा है। मध्य प्रदेश में अभी केवल 4500 प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी समिति हैं। इनमें भी तदर्थ नियुक्तियां की जा रही हैं। 23000 ग्राम पंचायतों में जब प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी समिति का गठन हो जाएगा। उसके बाद ही सदस्यता अभियान चलाकर इन समितियों को अस्तित्व में लाया जाएगा। यह कब तक होगा, फिलहाल कहा नहीं जा सकता है।

विधानसभा चुनाव के पहले खेल

नवंबर माह में मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव होना है। उसके पहले ही सहकारी संस्थाओं के माध्यम से मध्य प्रदेश में चुनाव की तैयारियां की गई हैं। ऐसा माना जा रहा है, कभी भी इतने बड़े पैमाने पर सहकारिता के क्षेत्र में तदर्थ नियुक्ति नहीं की गई हैं। विधानसभा चुनाव में जब मात्र 6 माह का समय रह गया है। उसके पहले इतना बड़ा बदलाव सबको आश्चर्य में डाल रहा है।

कोऑपरेटिव सेक्टर में काफी रूचि ले रहे संघ पदाधिकारी

सहकारी समितियों और बैंकों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी काफी रूचि ले रहे हैं और उनके द्वारा सहकारी बैंकों और प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी समितियों के लिए नाम प्रस्तावित किए जा रहे हैं। इसमें बताया जा रहा है कि ज्यादातर उन्हीं नामों पर मुहर लग रही है, जो संघ के नेताओं द्वारा भेजे जा रहे हैं। सत्ता और भाजपा संगठन के महत्वपूर्ण पदाधिकारी केवल अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में ही अपने लोगों को नियुक्त करा पा रहे हैं।

सहकारी समितियों के जरिये पैरलर नेटवर्क खड़ा कर रहे अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्रीय सहकारिता मंत्री के रूप में प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर सहकारी समितियों के माध्यम से, सहकारिता आंदोलन को एक बार फिर खड़ा करने की कोशिश की है। यही भाजपा की सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत भी होगी। इसके पहले ग्राम पंचायत स्तर पर कभी भी सहकारिता की संस्थाएं अपनी पहुंच नहीं बना पाई हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले सभी 23000 पंचायतों में प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी समिति बनाने का लक्ष्य, सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है। माना जा रहा है मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव में इसकी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होगी यानी यही समितियां भाजपा को चुनाव में जीत दिलाने का मार्ग प्रशस्त करेंगी।

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