मध्य प्रदेश

अब फोटो से पहचाने जाएंगे उत्पाती हाथी, रखी जाएगी नजर, एप से जल्द दी जा सकेगी सहायता

ओडिशा व बंगाल के विशेषज्ञों के सुझाव पर अमल करेगा वन विभाग

भोपाल। हाथी-मानव द्वंद की स्थिति में उत्पाती हाथियों को फोटो लेकर चिन्हित किया जाएगा और फिर उनकी गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जाएगी। यदि वे फिर से कोई घटना करते हैं, तो उन्हें पकड़कर बंदी बनाने पर विचार किया जाएगा। ओड़िशा, बंगाल के हाथी विशेषज्ञों ने यह सुझाव वन विभाग को दिए हैं। कान्हा, बांधवगढ़ और संजय दुबरी टाइगर रिजर्व सीधी में वर्तमान में 62 हाथी हैं, जो उत्पात मचाते रहते हैं।

अलग-अलग क्षेत्रों में 8 ग्रामीणों को मार चुके हैं जंगली हाथी
इनमें से कुछ हाथी अलग-अलग क्षेत्रों में 8 लोगों को मार चुके हैं। इससे जनाक्रोश बढ़ा है। ऐसे में जनता हाथियों को नुकसान न पहुंचाए, इसके लिए वन विभाग एक एप तैयार करा रहा है, जिसके माध्यम से फसल या जनहानि की स्थिति में संबंधित परिवार को जल्द मुआवजा मिल सकेगा। विभाग के अधिकारियों ने एप के नाम को लेकर विशेषज्ञों से सुझाव मांगे हैं।
झारखंड और छत्तीसगढ़ के रास्ते मध्य प्रदेश आए जंगली हाथियों ने बांधवगढ़, कान्हा और संजय दुबरी टाइगर रिजर्व के जंगल को स्थाई रहवास बना लिया है। वैसे तो हाथी 12 साल से प्रदेश में सीमा में आते रहे हैं, पर चार साल पहले बांधवगढ़ पहुंचा 40 हाथियों का एक दल लौटा ही नहीं। इसके बाद पांच-आठ की संख्या में हाथी यहां आते रहे हैं। इनमें से दो हाथी नरसिंहपुर जिले में पहुंच गए थे, जहां गन्ने के खेतों की रखवाली करने वाले तीन लोगों को कुचलकर मार दिया था।

हाथियों के हमले से होने वाली घटनाएं कम करने के किए जा रहे प्रयास
इसके पहले सीधी जिले में ऐसी घटनाएं हुई थीं। मध्य प्रदेश के वन अधिकारियों को हाथी प्रबंधन का अनुभव नहीं है, इसलिए अगस्त 2022 में विशेषज्ञों को बुलाकर हाथी प्रबंधन पर मंथन किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि हाथी मित्र दल, रैपिड रिस्पांस टीम का गठन, बस्ती के आसपास हाथी रोधी खंती खोदकर, चैनलिंक जाली लगाकर उसमें करंट प्रवाहित करके हाथियों के हमले से होने वाली घटनाओं को कम किया जा सकता है।

निर्मित हो सकती है हाथी-मानव द्वंंद की स्थिति 
विशेषज्ञों का कहना है कि जान-माल का नुकसान करेंगे तो हाथी-मानव द्वंंद की स्थिति निर्मित होगी। लोग हाथियों को नुकसान पहुंचाएंगे, इसलिए नुकसान की भरपाई तत्काल होनी चाहिए। इसके लिए एक मोबाइल एप बनाने की सलाह दी गई है, ताकि नुकसान की स्थिति में संबंधित परिवार को उसके प्रकरण में दिनोंदिन हो रही कार्रवाई की पूरी जानकारी रहे और उसके नुकसान की जल्द भरपाई भी हो सके। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के रीवा, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, डिंडौरी और मंडला जिलों में हाथियों का आतंक है।

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