नई दिल्ली

जाकिर नाईक के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने मोदी सरकार कर रही है तैयारी, सात सदस्यी वकीलों की टीम का किया गठन…

नई दिल्ली। इस्लामिक स्कॉलर जाकिर नाईक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी को केन्द्र की मोदी सरकार और धार देने में जुट गई है। आईआरएफ को एक गैरकानूनी एसोसिएशन घोषित करने के अपने फैसले के बचाव के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के नेतृत्व में सात सदस्यीय वकीलों की टीम का गठन किया है। केन्द्र सरकार ने अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन ऐक्ट 1967 की धारा 3 (1) के प्रावधानों के तहत आईआरएफ को गैरकानूनी घोषित किया था। एसजी मेहता के अलावा इस टीम में वरिष्ठ अधिवक्ता सचिन दत्ता, अमित महाजन, रजत नायर, कानू अग्रवाल, जय प्रकाश और ध्रुव पांडे शामिल हैं।

गृह मंत्रालय ने 13 दिसंबर 2021 को एक नोटिफिकेशन के माध्यम से कहा है कि आईआरएफ को गैरकानूनी घोषित करना सही फैसला है और इस मामले में भारत सरकार की ओर से वकीलों की एक टीम अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश हो सकती है। इससे पहले गृह मंत्रालय ने इस्लामिक रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (आईआरएफ) पर प्रतिबंध लगाने के लिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल की अध्यक्षता में एक ट्रिब्यूनल का गठन किया था।

नोटिफिकेशन के मुताबिक, ‘गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 की धारा 5 की उप-धारा (1) के आधार पर केंद्र सरकार इसके द्वारा एक अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) ट्रिब्यूनल का गठन करती है। इसके अध्यक्ष दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल होंगे। यह ट्रिब्यूनल को इस बात का निर्णय करने के उद्देश्य से गठित किया गया है कि इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को गैरकानूनी संघ घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं।’ आपको बता दें कि गृह मंत्रालय ने हाल ही में भारत में जन्मे इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाईक के एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) पर लगाए गए प्रतिबंध को और पांच साल के लिए बढ़ा दिया है। गृह मंत्रालय ने आईआरएफ पर प्रतिबंध बढ़ाने पर कहा, नाईक के बयान और भाषण आपत्तिजनक और विध्वंसक हैं। इस तरह के बयान धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी, घृणा को बढ़ावा देते हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में कहा है कि आईआरएफ ऐसी गतिविधियों में लिप्त है जो देश की सुरक्षा के लिए हानिकारक है। इसके साथ ही अधिसूचना में कहा गया है कि ये गतिविधियां शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के साथ-साथ देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को खराब कर सकते हैं। मंत्रालय के अनुसार, नाईक कट्टरपंथी बयान और भाषण देता है जिसे दुनिया भर में करोड़ों लोग देखते हैं। आपको बता दें कि नाईक पीस टीवी और पीस टीवी उर्दू नाम से दो टेलीविजन स्टेशन चलाता है। दोनों चैनल भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम में बैन हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने नाईक के खिलाफ जांच शुरू करने वाली थी, उससे ठीक पहले 2016 में वह मलेशिया भाग गया था।

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