नई दिल्ली

बिहार में AAP के फार्मूले पर अपनी पार्टी बनाने की तैयारी में तो नहीं हैं प्रशांत किशोर …

नई दिल्ली। चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बिहार में अपनी पार्टी शुरू करने के फैसले से राजनीतिक पंडितों को खास हैरानी नहीं हुई है। किशोर ने ‘जन स्वराज’ की घोषणा ऐसे समय में की है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर अस्तित्व के संकट का सामना कर रहे हैं। वह पिछले काफी समय से अपने गृह नगर को लेकर विचार कर रहे थे। यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम तेज हैं। मालूम हो कि किशोर सासाराम में पैदा हुए थे।

भारतीय जनता पार्टी की आधिकारिक स्थिति यह है कि राज्य में मुख्यमंत्री पद के परिवर्तन का कोई सवाल ही नहीं है। 74 सीटों के साथ भाजपा विधायिका में सबसे बड़ी पार्टी है, जनता दल यूनाइटेड के पास 43 सीटें हैं। नीतीश को दिल्ली भेजने का ऑप्शन भी नहीं दिखता है। भाजपा में कई लोग निजी तौर पर इस बारे में बात करते हैं कि कैसे 2020 के चुनावों के बाद, यह महसूस किया गया कि सत्ता में भाजपा की अधिक चलेगी, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय सभी को नियंत्रित करता दिखता है। इसे लेकर राज्य के भाजपा नेताओं और कुछ मंत्रियों में नाराजगी है।

भाजपा के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “प्रशांत किशोर बिहार में AAP बनने की कोशिश कर रहे हैं। वह जानते हैं कि लोग कुछ विकल्प चाहते हैं। जनता दल में 35% वोटशेयर है जबकि नीतीश कुमार के पास 15% और शेष 15% कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों जैसे अन्य दलों के पास है। बिहार में सत्ता में रहने के लिए दो समूहों का एकसाथ होना जरूरी है। 2015 में नीतीश और राजद एकसाथ आए थे और अब यहां दो अन्य एकसाथ हैं। जब तक कोई दूसरा विकल्प न हो, वे साथ रहेंगे।”

किशोर अपने गृह राज्य में इस बदलाव के एजेंट बनने की उम्मीद कर रहे होंगे। जबकि उन्होंने ‘नई आप’ होने के इस सिद्धांत को खारिज कर दिया और आगे टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को पार्टी के समर्थन पर जेडीयू से अलग होने के बाद एक पहल की घोषणा की। वह दो साल पहले (महामारी से ठीक पहले) था, और उस समय उन्होंने राज्य में समान विचारधारा वाले लोगों को आकर्षित करने की अपनी पहल के बारे में बात की। पीके ने दावा किया कि वह एक आंदोलन में एक लाख लोगों को नामांकित कर सकते हैं, लेकिन वह पहल ठप हो गई।

भाजपा किशोर को गंभीरता से ले रही है। बीजेपी लीडर ने कहा कि किशोर ब्राह्मण नेता होने के नाते उनके वोटों को काट सकते हैं। चूंकि आम आदमी पार्टी पंजाब में स्थापित पार्टियों को हराने में सफल रही थी, ऐसे में बिहार में भी ऐसे ही हालात पैदा होंगे, इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। किशोर ने इस साल की शुरुआत में नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। यह स्पष्ट है कि दोनों के बीच एक खुला चैनल है। इसे नकारा नहीं जा सकता है।

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