छत्तीसगढ़

जांच टीम ने नवजातों के खंगाले रिकॉर्ड, सुबह एक की फिर हो गई मौत…

अंबिकापुर। अंबिकापुर के मेडिकल कॉलेज सह-जिला अस्पताल के शिशु वार्ड में 24 घंटे के भीतर 7 नवजातों की मौत के बाद तीन सदस्यी टीम का गठन किया  गया था। तीन सदस्यीय टीम पूरे मामले की जांच कर सोमवार दोपहर 1 बजे रायपुर लौट गई। वहीं मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु वार्ड में भर्ती एक नवजात की सोमवार शाम को मौत हो गई। इससे यहां बीते तीन दिन में मरने वाले नवजातों की संख्या बढ़कर 8 हो गई है।

शिशु विभाग की एचओडी डॉ. सुमन ने बताया है कि बैकुंठपुर कोरिया निवासी अनुराधा नामक महिला का डेढ़ माह के बच्चा शिशु वार्ड में 15 अक्टूबर को भर्ती हुआ था। वह काफी कमजोर था। बच्चे का वजन डेढ़ माह में सिर्फ डेढ़ किलोग्राम था। उसे निमोनिया की शिकायत थी। उसकी तबीयत गंभीर थी। इलाज के बाद भी उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ और सोमवार शाम को उसकी मौत हो गई। शिशु रोग विशेषज्ञ  डॉ. समीन जैन की अध्यक्ष बनी टीम में दो और सदस्य डॉ. विरेंद्र कुर्रे और शशिकांत देवांगन शामिल थे। तीनों सदस्य रविवार रात में ही अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंच गए थे और सीधे एसएनसीयू पहुंचे। उन्होंने मृत नवजातों के रिकार्ड के साथ हर पहलू की जांच की। ड्यूटी रिकार्ड व रोस्टर के साथ उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी ली और भर्ती मरीज के परिजन से बातचीत कर फीडबैक लिया। हालांकि टीम ने जांच में सामने आई बातों को उन्होंने मीडिया में शेयर करने से मना कर दिया।

टीम ने इन बिंदुओं पर ली जानकारी

  • एसएनसीयू व शिशु वार्ड में कितने बच्चे भर्ती हैं। ओपीडी में कितने बच्चे रोज आते हैं। बच्चों का टीकाकरण कैसे किया जाता है। सीरिंज डिस्पोजल कैसे किया जाता है।
  • शिशु वार्ड और एसएनसीयू में स्टाफ का सेटअप क्या है। कितने स्टाफ उपलब्ध हैं। इनका ड्यूटी रोस्टर क्या है और जिस दिन नवजातों की मौत हुई उस दिन कितने लोगों की ड्यूटी थी।
  • शिशु वार्ड व एसएनसीयू में क्या सुविधाएं हैं। किस तरह के उपकरण लगाए गए हैं। आॅक्सीजन सप्लाई की क्या व्यवस्था और संक्रमण रोकने क्या इंतजाम किए गए हैं।
  • मरीज के परिजन से बातचीत कर सुविधाओं के बारे में फीडबैक लिया गया। अस्पताल से कितनी दवा लेनी पड़ती है और कितनी दवा बाहर से खरीदनी पड़ रही है।
  • टॉयलेट की स्थिति क्या है। वार्ड में साफ-सफाई किस तरह रहती है। एसएनसीयू में आने-जाने के लिए किस तरह की व्यवस्था है। मरीजों के परिजन से स्टाफ का व्यवहार की जानकारी ली।
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