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बढ़ते साइबर अपराध की रोकथाम के लिए अन्तर्राज्यीय समीक्षा हेतु ‘इंटरस्टेट साइबर मीटिंग कम-इंट्रेक्शन प्रोग्राम’, पांच राज्यों के पुलिस अधिकारी होंगे शामिल …

रायपुर । पुलिस मुख्यालय नवा रायपुर में 23 अक्टूबर 2021 को गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के तत्वाधान में बढ़ते साइबर अपराध की रोकथाम के लिए अन्तर्राज्यीय समीक्षा हेतु ‘इंटरस्टेट साइबर मीटिंग कम-इंट्रेक्शन प्रोग्राम’ का आयोजन किया जा रहा है।

इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य के सरहदी एवं समीपस्थ पांच अन्य राज्य- झारखण्ड, बिहार, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश तथा पश्चिम बंगाल के अधिकारीगण सम्मिलित होकर गृह मंत्रालय द्वारा गठित भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र के तकनीकी इनपुट व सहयोग से साइबर क्राइम के विरूद्ध एक संयुक्त प्रयास के दिशा में अग्रसर होने हेतु आपसी विचार-विमर्श कर साइबर अपराध से निपटने के दौरान आने वाली चुनौतियों तथा अब तक प्राप्त सफलताओं का अनुभव साझा करेंगे।

कार्यक्रम में छहों राज्यों के साइबर अपराध के क्षेत्र में कार्य कर रहे अनुभवी अधिकारीगण शामिल होंगे जिनके साथ अन्य संबंधित स्टेकहोल्डर्स, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया तथा अन्य सभी बैंक्स के अधिकारीगण तथा टेलीकॉम सर्विस प्रोवाईडर के नोडल अधिकारीगण भी शामिल होंगे।

वर्ष 2018 में गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र’ (आई4सी) तथा गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार सभी राज्यों में क्षेत्रीय साइबर क्राइम कोर्डिनेशन सेन्टर का गठन साइबर अपराध के रोकथाम के दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। समन्वय के द्वारा साइबर अपराध की विवेचना में आ रही समन्वय संबंधित समस्याओं को दूर किये जाने हेतु सार्थक प्रयास किये जा रहे है।

इसके अधीन गठित ‘संयुक्त साइबर क्राइम समन्वय टीम’ (जेसीसीटी) साइबर अपराध के विरूद्ध विभिन्न राज्यों में आपसी समन्वय हेतु एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा। इस टीम की मदद् से साइबर अपराध की विवेचना में आ रही समन्वय संबंधित समस्याओं का निराकरण करने में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी। चूंकि साइबर अपराध में अपराधी, अपराध की जगह से दूर बैठकर संचार माध्यम की सहायता से अपराध घटित करता है।

सामान्यतः जानकारी के अभाव, भय या प्रलोभन में आकर पीड़ित के द्वारा अपने बैंक संबंधित या व्यक्तिगत जानकारी अपराधी से साझा किया जाता है। जो अपराध की सूचना पर पुलिस के द्वारा विवेचना के दौरान अन्य राज्य में पुलिस की टीम जाकर अपराधी की धर-पकड़ की कार्यवाही किये जाने के दौरान स्थानीय प्रतिरोध तथा स्थानीय पुलिस से समन्वय के अभाव में विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

इस दिशा में गृह मंत्रालय, नई दिल्ली के तत्वाधान में गठित संयुक्त साइबर अपराध समन्वय दल इन कमियों को बारिकी से अवलोकन कर बाहरी टीम को पर्याप्त समन्वय व सहयोग व उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, जिस संबंध में भी उक्त कार्यक्रम में विस्तार से विचार-विमर्श कर अग्रिम कार्ययोजना तैयार की जानी है।

साइबर अपराध में किसी भी पीड़ित के साथ वित्तीय धोखाधड़ी होने पर उसकी तत्काल रिपोर्टिंग तथा त्वरित कार्यवाही में समय सबसे महत्वपूर्ण है। इस प्रकार के अपराध घटित होने के पर सही समय पर पुलिस को सूचित करना अत्यंत आवश्यक है। पीड़ित की सूचना पर पुलिस तथा संबंधित बैंक के समय पर कार्यवाही करने से धोखाधड़ी राशि को होल्ड कराये जाने में छत्तीसगढ़ पुलिस को महत्वपूर्ण सफलता भी प्राप्त हुई है।

यह तभी संभव हो पाया है जब इससे जुडे हुए सभी एजेंसी द्वारा समय पर त्वरित कार्यवाही किया गया। इस हेतु छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा वर्तमान में सिटीजन फायनेंसियल फ्रॉड एवं मैनेजमेंट सिस्टम से समस्त थाना/साइबर सेल को जोड़ दिया गया है ताकि फायनेंसियल फ्रॉड होने पर पीड़ित कहीं से भी शिकायत दर्ज कर सकें एवं पीड़ित को होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाने हेतु त्वरित कार्यवाही की जा सके।

इसके अतिरिक्त पुलिस मुख्यालय स्तर पर चौबीस घण्टे हेल्पलाईन नंबर 155260 का संचालन किया जा रहा है। पीड़ित कभी भी फोन कर उसके साथ ही वित्तीय धोखाधड़ी की सूचना दे सकता है। साथ ही साथ पीड़ित द्वारा फायनेंसियल फ्रॉड एवं अन्य प्रकार की साइबर अपराध की स्थिति में स्वयं घर बैठे अपने मोबाईल या लैपटॉप से www.cybercrime.gov पद पर शिकायत दर्ज किया जा सकता है।

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