छत्तीसगढ़रायपुर

राज्यपाल अनुसुईया उइके अनुकूल चन्द्र के 135 वें जन्म महोत्सव में हुईं शामिल ….

रायपुर। राज्यपाल अनुसुईया उइके ठाकुर अनुकूलचन्द्र के 135 वें जन्मोत्सव के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुईं। राज्यपाल ने सर्वप्रथम अनुकूलचन्द्र के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया और उनके समस्त अनुयायियों के साथ मंगलकामना की। इस दौरान उनके अनुयायियों ने राज्यपाल को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित भी किया।

राज्यपाल उइके ने जीवन संघर्ष साझा करते हुए कहा कि महान व्यक्तित्वों के सानिध्य से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव भी बताए। उन्होंने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों के लोग सत्संग से जुड़े हैं। जब हम ईश्वर के सदृश मानकर किसी के प्रति आस्था रखते हैं तो यह विश्वासपूर्ण प्रेम से लोगों की कामना पूरी होती है।

राज्यपाल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अनुकूलचन्द्र ने मानव सेवा को प्राथमिकता देते हुए समाज के भलाई के लिए निरंतर कार्य किए। पृथ्वी के समस्त जीवों का कल्याण उनका सर्वोच्च स्वार्थ और मनुष्य के निर्मल प्रेम को पाना ही उनकी परम प्राप्ति रही। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सांस्कृतिक मूल्यों का पतन, अनियमित दिनचर्या व जीवनशैली और केवल भौतिक सुख की इच्छा, मानव समाज के समक्ष एक बड़ी चुनौती बनकर खड़ी है।

आज मनुष्य अपने अंर्तद्वंद्व से जूझ रहे हैं और व्याकुल हैं, वे शांति, समृद्धि और सुख की तलाश में जीवन के सद्मार्ग से भटकते जा रहे हैं। ऐसे समय में हमें ठाकुर द्वारा दिखाए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए।

राज्यपाल ने कहा कि विज्ञान, शिक्षा, शिल्प, कला की उन्नति होने के बावजूद मानव संतुष्ट और तृप्त नहीं हुआ है। असंतोष, अहंकार, स्वार्थ के भाव से मानव मन में अहंकार बढ़ता गया। अनुकूलचन्द्र ने कहा है कि सकारात्मक परिवेश मनुष्य को उदार और सहिष्णु बनाते हैं। इस लिए हमें दया, प्रेम, श्रद्धा, सेवा, उदारता, अनुशासन और भाईचारे से परिपूर्ण सुंदर, समाज और देश के निर्माण में अपनी भूमिका अदा करनी चाहिए।

राज्यपाल ने कहा कि मानव जीवन के उद्देश्यों और उसकी प्राप्ति के पथ को लेकर उनके विचार पूर्णतः प्रासंगिक हैं। उनके विचारों ने समाज के लोगों का विपरीत परिस्थितियों में मार्गदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि संत-महात्माओं, धर्मगुरुओं ने मानवता के कल्याण के लिए प्रेम, सद्भाव और सामाजिक समरसता का जो संदेश दिया है, वह हमें अनुकूलचन्द्र की पुस्तक ‘सत्यानुसरण’ में भी पढ़ने को मिलता है।

राज्यपाल ने कहा कि हमें अनुकूलचन्द्र का अनुसरण करते हुए जाति धर्म के भेद से ऊपर उठकर सबके उन्नति के लिए कार्य करना चाहिए। अनुकूलचन्द्र ने सदैव सर्वसाधारण की बात की है। उन्होंने चिकित्सा की पढ़ाई की और अपने सहृदयता और संवेदनपूर्ण व्यवहार से लोगों मन जीत लिया। उनके व्यवहार से उनका हृदय परिवर्तन हो गया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सुभाषचन्द्र बोस जैसे भारत के प्रबुद्ध व्यक्तित्वों को भी अनुकूलचन्द्र के दर्शन और विचारों ने काफी प्रभावित किया।

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