नई दिल्ली

दिशा रवि और शांतनु मुलुक का होगा आमना-सामना, दिल्ली पुलिस साइबर सेल के दफ्तर में चल रही पूछताछ …

नई दिल्ली। टूलकिट मामले में गिरफ्तार दिशा रवि और शांतनु मुलुक को आगे की पूछताछ के लिए दिल्ली पुलिस साइबर सेल के दफ्तर में लाया गया है। पुलिस यहां दिशा और शांतनु का आमना-सामना भी कराएगी। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को 21 वर्षीय दिशा रवि को आगे की पूछताछ के लिए एक दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया था।

दिल्ली पुलिस ने मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत से इस मामले में अन्य सह-आरोपियों से दिशा का आमना-सामना कराने की बात कही थी, जिसके बाद कोर्ट ने पुलिस को दिशा से एक दिन की पुलिस रिमांड में पूछताछ करने की अनुमति दे दी थी। दिशा को किसानों के विरोध प्रदर्शन से संबंधित एक ‘टूलकिट’ सोशल मीडिया पर शेयर करने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने 13 फरवरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था।

पुलिस ने आरोप लगाया था कि ‘टूलकिट’ कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन की आड़ में भारत में अशांति पैदा करने और हिंसा फैलाने की एक वैश्विक साजिश का हिस्सा था।

गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा से संबंधित ‘टूलकिट’ मामले की आरोपी निकिता जैकब और शांतनु सोमवार को दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के दफ्तर पहुंचकर जांच में शामिल हुए, जहां दोनों से कई घंटों तक पूछताछ की गई थी।

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि ‘टूलकिट’ की कड़ियों को जोड़ने के लिए जांच दल निकिता जैकब और शांतनु को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। दोनों सोमवार को द्वारका स्थित साइबर सेल के दफ्तर पहुंचकर जांच में शामिल हुए। इस मामले की एक अन्य आरोपी  दिशा रवि को पहले को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।

दिल्ली पुलिस का दावा है कि ‘टूलकिट’ बनाकर किसानों को भड़काकर हिंसा फैलाने के पीछे खालिस्तान से जुड़े संगठनों की साजिश थी। कनाडा के पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से जुड़ा एमओ धालीवाल भारत में किसानों की आड़ में माहौल खराब करने की फिराक में था।

पुलिस के अनुसार, किसानों को उकसाने के लिए साजिशकर्ताओं ने ‘टूलकिट’ तैयार की थी जिसमें सरकार का विरोध करने के लिए कार्यक्रम बताया गया था। इसे  निकिता जैकब और पयार्वरण एक्टिविस्ट शांतनु ने तैयार किया था। उसके बाद दिशा रवि ने इस संबंध में ट्वीट करने के लिए स्वीडन की पयार्वरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग से भी संपर्क साधा था।

गौरतलब है कि केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की किसान संगठनों की मांग के समर्थन में 26 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी और इस दौरान किसानों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुई थीं। इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारी लाल किले तक पहुंच गए थे और उन्होंने वहां प्राचीर पर किसानों के झंडे और धार्मिक झंडा लगा दिया था। पुलिस ने 26 जनवरी को हुई हिंसा मामले में 44 मामले दर्ज किए हैं। इनमें अभी तक 150 से अधिक आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं।

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