लखनऊ/उत्तरप्रदेश

बसपा के विधायक पप्पू और भगेलू साइकिल पर हुए सवार, लखनऊ में ली सपा की सदस्यता…

सुल्तानपुर । बसपा के पिलर माने जाने वाले विधायक पप्पु और भगेलू ने सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। सुल्तानपुर में जिस कादीपुर विधानसभा सीट से बीएसपी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा प्रबुद्ध सम्मेलन करके गए थे, वहीं से उसे झटका भी लगा है।

 

यही नहीं वरिष्ठ बसपा नेता और 2012 में बीएसपी के सिंबल से इसौली सीट से पत्नी को चुनाव लड़ाने वाले मोहम्मद रिजवान उर्फ पप्पू ने भी बीएसपी के हाथी से उतर कर साइकिल से सवारी करना मुनासिब समझा है। सवाल ये है क्या इस तरह दरकती नींव पर बसपा 2022 का मिशन फतह करेगी।

 

गुरुवार को राजधानी लखनऊ में जहां कई दिग्गज नेताओं ने सपा की सदस्यता ली, वहीं कादीपुर के पूर्व बसपा विधायक भगेलू राम और वरिष्ठ बसपा नेता रिजवान उर्फ पप्पू ने भी सदस्यता ली। बता दें कि सुल्तानपुर में इन दोनों नेताओं को बसपा का पिलर माना जाता था। भगेलू राम तीन बार बसपा के टिकट पर विधायक बने 2012 और 2017 की बात करें तो भगेलू राम चुनाव हार गए। 2017 में उन्हें बीजेपी के राजेश गौतम ने तो 2012 में सपा के रामचंद्र चौधरी ने उन्हें मात दिया था। लेकिन 2007 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने 1379 वोट से सपा के रामचंद्र चौधरी को ही हराया था। इस चुनाव में भगेलू राम को 35312 वोट मिले थे।

 

 

गौरतलब हो कि भगेलू राम ने पहली बार बीजेपी लहर में कादीपुर से 1991 में बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और वह हार गए। उन्हें 19111 वोट मिले, उस समय बीजेपी के टिकट पर रामचंद्र चौधरी उनके मुकाबले पर थे। 1996 के चुनाव में भाग्य ने साथ दिया और वो पहली मर्तबा विधायक चुने गए। उन्होंने बीएसपी के सिंबल पर चुनाव लड़ते हुए 55743 वोट हासिल किया, इस बार भी उनके सामने बीजेपी के टिकट पर रामचंद्र चौधरी ही थे। उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार को 9902 वोट से पराजित किया। 2002 का चुनाव आया तो उन्होंने बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़कर बीजेपी के काशी नाथ को 6457 वोटों से हराया था।

 

उधर बीएसपी छोड़ सपा में आए रिजवान उर्फ पप्पू भी पार्टी के पुराने नेताओं में से थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में उनकी पत्नी इसौली विधानसभा सीट से प्रत्याशी थीं। यह अलग बात हैं कि वह चुनाव हार गईं। लेकिन पप्पू का कद इतना बड़ा था कि शहर में होने वाली पार्टी की मीटिंग उनके ही मैरिज लॉन में होती सारा अरेंजमेंट वो ही देखते। यही नहीं पहले कोरोना कॉल में तो क्या मुसलमान क्या हिंदू पप्पू ने गांव-गली मोहल्ला और पुरवों तक में रात के अंधेरे में मदद करके सबका दिल जीत लिया था। अब उनका ऐन चुनाव के वक्त पार्टी का साथ छोड़ना पार्टी के लिए घातक साबित होगा। अगर सपा ने सुलतानपुर या इसौली सीट से दांव खेल दिया तो उसके लिए संजीवनी हो सकता है।

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