मध्य प्रदेश

देश में केदारनाथ के बाद केवल मध्यप्रदेश के मंदसौर में शिवजी के साथ विराजे हैं कुबेरजी …

भोपाल/मंदसौर। मध्यप्रदेश में मंदसौर प्रदेश का ऐसा शहर है, जहां रावण को दामाद माना जाता है। यहां रावण का दहन नहीं किया जाता, बल्कि उसकी पूजा की जाती है। यहीं उनके भाई धन के देवता कुबेर का मंदिर भी है। शहर से सटे खिलचीपुरा में स्थित धौलागढ़ महादेव मंदिर के गर्भगृह में भगवान कुबेर शिव परिवार के साथ विराजे हैं। पूरे देश में केदारनाथ के बाद मंदसौर ही ऐसी जगह है, जहां शिवजी के साथ कुबेरजी विराजित हैं।

शहर से सटे खिलचीपुरा में धौलागढ़ महादेव मंदिर में सातवीं शताब्दी में निर्मित भगवान कुबेर की प्राचीन मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर का निर्माण मराठाकाल में हुआ था। कुबेर की पूजा-आराधना करने से धन संबंधी सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं। सिर्फ मनुष्य ही नहीं, देवता भी कुबेर को धन का देवता मानते हैं। स्वयं भगवान शिव ने उन्हें धन का देवता नियुक्त किया है।

केदारनाथ के बाद यहां ही शिव पंचायत में भगवान कुबेर विराजित हैं। पुरातत्व विभाग के अधीन इस मंदिर को जीर्णोद्धार के लिए शासन ने संरक्षण अधिसूचना में शामिल कर लिया है। विभाग अब जीर्णोद्धार के लिए प्रस्ताव तैयार करेगा। खिलचीपुरा विश्व प्रसिद्ध अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ मंदिर से लगभग एक किमी दूरी पर है। विश्व में दो ही स्थान ऐसे हैं, जहां शिव पंचायत में कुबेर भी शामिल हैं। एक चार धामों में शामिल केदारनाथ तथा दूसरी मूर्ति मंदसौर के खिलचीपुरा स्थित धौलागढ़ महादेव मंदिर में है।

इतिहासकार डॉ. कैलाश शर्मा के अनुसार धौलागढ़ महादेव मंदिर लगभग 1200 साल पहले बना मराठाकालीन है। इसी मंदिर में स्थापित भगवान कुबेर की मूर्ति उत्तर गुप्तकाल में सातवीं शताब्दी में निर्मित है। मराठाकाल में धौलागिरी महादेव मंदिर के निर्माण के दौरान इसे गर्भगृह में स्थापित किया गया था। मंदिर में भगवान गणेश व माता पार्वती की मूर्तियां भी हैं। 1978 में कुबेर की मूर्ति की पहचान हुई।

मूर्ति में कुबेर बड़े पेट वाले, चतुर्भुजाधारी सीधे हाथ में धन की थैली और तो दूसरे में प्याला धारण किए हुए हैं। अपने वाहन नेवले पर सवार इस मूर्ति की ऊंचाई लगभग तीन फीट है। प्राचीन व पुरा महत्व का मंदिर होने से इसकी संरचना में बदलाव नहीं किया जा सकता है। विभाग द्वारा संरक्षण अधिसूचना में शामिल करने पर अब इसके जीर्णोद्धार व अन्य सुविधाओं के लिए जल्द प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।

धौलागढ़ महादेव मंदिर के हेमंत गिरी ने बताया कि कुबेर मंदिर में 23 अक्टू बर को सुबह चार बजे से विशेष अनुष्ठान चल रहे हैं। इसमें महाभिषेक, हवन व पूजन कर भगवान कुबेर का आकर्षक श्रृंगार किया जाएगा। सुबह कलेक्टर गौतमसिंह द्वारा पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद हवन प्रारंभ हुआ। हवन की पूर्णाहुति रात साढ़े 12 बजे होगी।

भारतीय ज्योतिष परिषद अध्यक्ष शिवप्रकाश जोशी के अनुसार जिले के गांधीसागर अभयारण्य क्षेत्र में स्थित तक्षकेश्वर महादेव मंदिर (ताखाजी) में भगवान धन्वंतरि की मूर्ति भी है, जो भारत भर में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि धनतेरस पर आयुर्वेद के देव धन्वंतरि को पूजने से रोगों से मुक्ति मिलती है। आज 23 अक्टूबर को यहां भी विभिन्न धार्मिक आयोजनों का दौर चलता रहेगा।

कुबेर मंदिर की दिलचस्प पौराणिक कथा

  1. –   कुबेर मंदिर की पौराणिक कथा भी बेहद दिलचस्प है। पुजारियों, ब्राम्हणों का मानना है कि यह मंदिर बनाया नहीं गया था बल्कि, स्वर्ग लोक से उड़कर आया था।
  2. –   मानना है कि इस मंदिर परिसर की मिट्टी को लेकर जो भी भक्त तिजोरी में रखता है उसे धन की प्राप्ति होती है और जीवन भर कुबेर देवता की कृपा बनी रहती है।
  3. –   प्राचीन काल में इस मंदिर पर कई बार मुगलों ने आक्रमण किया था और मंदिर को नुकसान पहुंचाया था।
  4. –   यह भी मानना है कि प्राचीन इस मंदिर में जो भी धनतेरस और दिवाली पर यहां पूजा-पाठ करता है, उसे अपार धन की प्राप्ति होती है।
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