राजस्थान

जोधपुर सिलेंडर ब्लास्ट में 3 और की मौत, मामा के बाद भांजे की भी गई जान; मां की हालत गंभीर, अब तक 15 मरे ..

जोधपुर । जोधपुर में सिलेंडर ब्लास्ट मामले में आज 3 लोगों की और मौत हो गई। गुरुवार को हुए हादसे में लगातार तीन दिन तक मौतें हुईं। शनिवार शाम तक 12 लोग इस हादसे में दम तोड़ चुके थे। रविवार को हादसे में किसी झुलसे व्यक्ति की जान नहीं गई तो लोगों ने राहत की सांस ली। सोमवार सुबह जब फिर से एक बच्चे की सांस टूटी तो लोग चिंता में आ गए थे। दोपहर तक दो और महिलाओं ने दम तोड़ दिया।

हादसे में अब तक कुल 15 लोगों की जान जा चुकी है। मरने वालों में 9 बच्चे और 5 महिलाएं हैं। अब भी 39 झुलसे लोगों का इलाज महात्मा गांधी हॉस्पिटल में चल रहा है। इसमें 20 से ज्यादा मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है।

जानकारी के अनुसार शेरगढ़ के भूंगरा गांव में हुए सिलेंडर ब्लास्ट में 9 साल का लोकेंद्र सिंह 30 प्रतिशत तक झुलस गया था। इसके बाद से वह आईसीयू में एडमिट था। सोमवार सुबह लोकेंद्र की इलाज के दौरान मौत हो गई। वह दो दिन पहले दम तोड़ चुके सुरेंद्र का भांजा था। इलाज के दौरान गंवरी देवी (40) और 70 साल की जमना कंवर ने भी दम तोड़ दिया है।

लोकेंद्र सिंह के मामा सुरेंद्र सिंह लोगों को बचाने के लिए तीन बार आग में कूद गया था। इस हादसे में लोकेंद्र भी 30 प्रतिशत तक झुलस गया था, जिसकी सोमवार को इलाज के दौरान सुबह मौत हो गई थी।। लोकेंद्र की मां जस्सू कंवर 90 प्रतिशत तक झुलसी हुई है, उसकी भी हालत गंभीर है। वह आईसीयू में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही है।

हादसे में 70 साल की महिला जमना कंवर सगत सिंह की पड़ोसी थी। हादसे वाले दिन वह भी पाट बिठाई की रस्म में शामिल होने गई थी। जहां चौक में महिलाएं बैठी थीं, वहीं पर जमना कंवर मौजूद थी। इस हादसे में वह 60 प्रतिशत तक झुलस गई थी। बताया जा रहा है कि उनके पति भैरु सिंह की बीमारी के दौरान मौत हो चुकी है। इनके चार बेटे हैं और यह दूल्हे की पड़ोसी थी।

इस हादसे के बाद अस्पताल की बर्न यूनिट के वेटिंग रूम में लगातार टेंशन बनी हुई है। जो लोग झुलसे हैं और उपचार ले रहे हैं, उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए लगातार प्रार्थनाएं हो रही हैं। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि अब किसी की भी सांस न उखड़े। वहीं अस्पताल प्रशासन लगातार लोगों की जिंदगियां बचाने में जुटा हुआ हैं।

अभी करीब 5 मरीज ऐसे हैं जो कि 60 प्रतिशत से ज्यादा जले हुए हैं, जिनको बचाने के लिए संघर्ष चल रहा है। यहां मरीज के परिजनों ने भास्कर से बातचीत में बताया कि वे उस मंजर को याद भी नहीं करना चाहते। जैसे ही वह दिन याद आता है, रूह तक कांप जाती है। कई दिनों से परिजन सो भी नहीं पाए है। पिछले पांच दिन से कई लोग अपने घर भी नहीं गए है।

अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजश्री बोहरा ने बताया कि घटना के बाद से ही प्लास्टिक सर्जन रजनीश गालवा व अन्य डॉक्टरों की टीम जुटी हुई है। प्रत्येक वार्ड में डॉक्टर्स व नर्सेज अपनी जिम्मेदारी के साथ काम कर रहे हैं। 24 डॉक्टरों की टीम दिन-रात इलाज में में जुटी है। इनमें सीनियर और जूनियर सहित रेजिडेंट डॉक्टर भी शामिल हैं।

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