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क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन बनाए बगैर एल्डरमैन की नियुक्ति, हारे हुए भी पहुंच गए निगम, सरकंडा पार से कोई नहीं …

बिलासपुर। लगभग पौने दो साल बाद नगर निगम के लिए एल्डरमैन की नियुक्ति सरकार ने की मगर इस नियुक्ति में क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन का ध्यान नहीं रखा गया। कांग्रेस के कई वरिष्ठ लंबे समय से हाशिये पर है, उन्हें भी नगर निगम में भेजकर सम्मान दिया जा सकता था लेकिन ऐसा भी नहीं किया गया। कांग्रेस की टिकट पर पार्षद का चुनाव हारे शैलेंद्र जायसवाल फिर से एल्डरमैन के माध्यम से नगर निगम में पहुंच गए। कांग्रेस के बड़े नेता प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं है लेकिन यह साफ रूप से कह रहे हैं कि शहर के हिसाब से ठीक नहीं हुआ है। कांग्रेस को इसका दूरगामी परिणाम भुगतना पड़ेगा।

15 साल बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार और नगर निगम में कांग्रेस को बहूमत मिली तो कांग्रेस और कांग्रेस विचारधारा से जुड़े लोग एल्डरमैन बनने का ख्वाब देख रहे थे। एल्डरमैन के रूप में अभी तक ऐसा होते आया है कि सामाजिक व विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को भेजा जाता था। पिछले 15 साल में भाजपा शासन काल के दौरान भी ऐसा ही हुआ। सभी एल्डरमैन राजनीतिक रूप से जुड़े नहीं थे मगर इस बार सरकार ने नगर निगम के लिए 11 एल्डरमैन की नियुक्ति की है उसमें एक भी गैर राजनीतिक व्यक्ति नहीं है। अखिलेश गुप्ता वार्ड क्रमांक 34 से पार्षद की टिकट मांग रहे थे, यहां से ऐन वक्त पर शैलेंद्र जायसवाल को टिकट दी गई। शैलेंद्र जायसवाल यहां से चुनाव हार गए। अब अखिलेश गुप्ता को इसलिए एल्डरमैन बनाया गया क्योंकि वे वीनिंग कैंटिडेट थे। यहां से चुनाव हारने वाले शैलेंद्र जायसवाल को एल्डरमैन बनाए जाने के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि नगर निगम के बारे में उनको अच्छी समझ है।

इसी तरह दीपांशु श्रीवास्तव गोंड़पारा से पिछली बार पार्षद रहे, इस बार उनका टिकट काटा गया। अब एल्डरमैन के रूप में मैनेज किया गया है। इसी तरह अजरा खान राजेंद्र नगर से दावेदार थीं, आखिरी समय में उनकी टिकट कटी। अब एल्डरमैन बनाकर अजरा को भी नगर निगम भेजा गया। नेहरू नगर के श्यामलाल नंदवानी विधानसभा चुनाव के समय सक्रिय नजर आए थे, इसका उन्हें एल्डरमैन के रूप में पुरस्कार मिला है। तिफरा में सक्रिय रहने वाले गोपाल सिंह की पत्नी सुधा सिंह को एल्डरमैन के रूप में भेजा गया है। दो एल्डरमैन को मंत्री शिव डहरिया के कोटे से बनना बताया जा रहा है। एक एल्डरमैन तखतपुर की विधायक रश्मि सिंह ने बनावाई है।

नगर निगम का विस्तार हुआ। सिरगिट्‌टी, तिफरा, सकरी, मंगला, कोनी राजकिशोर नगर से लेकर मोपका तक का एरिया नगर निगम में आ गया मगर नगर निगम के मामले में अभी भी सोच बिलासपुर शहर को लेकर के है। राजेंद्र शुक्ला ने प्रयास किया तो एक एल्डरमैन तिफरा से बनाया गया। दूसरा एल्डरमैन सकरी से बना मगर सरकंडा क्षेत्र से 11 में से एक भी एल्डरमैन नहीं बनाया गया। कुल मिलाकर क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन को ध्यान नहीं रखा गया। कांग्रेस के उन लोगों को निराशा हुई है जो खुद या किसी ऐसे सामाजिक संस्था के लोगों को एल्डरमैन के रूप में भेजना चाहते हैं जिनका कहीं न कहीं से कांग्रेस को लाभ हुआ है।

ऐसा ही व्यापारी वर्ग के लोगों का सोचना है। विस्तार के बाद नगर निगम में उद्योग व्यवसाय के लिए भी योजनाएं बननी है। व्यापारी भी एल्डरमैन के माध्यम से अपना प्रतिनिधित्व चाहते थे। कई अधिवक्ता भी एल्डरमैन बनने का सपना संजोए हुए थे। भाजपा शासन काल के दौरान फुल टाइम वकालत करने वाले एल्डरमैन बनाए गए थे। कांग्रेस में ऐसा नहीं हुआ। इस पूरी सूची और एल्डरमैन की नियुक्ति को खेमेबाजी के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस पर अभी टिप्पणी करने से बच रहे हैं। आफ द रिकार्ड में यही कहा गया कि इस नियुक्ति का दूरगामी असर होगा कांग्रेस को इसका परिणाम भुगताना पड़ेगा।

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