मध्य प्रदेश

लोकसभा चुनाव में आधा दर्जन से ज्यादा सांसदों की काटी जा सकती है टिकट

भोपाल

भाजपा लोकसभा चुनाव में आधा दर्जन से ज्यादा सांसदों के टिकट काट सकती है। वहीं प्रदेश के कुछ बड़े चेहरों को भी लोकसभा में उम्मीदवार बनाया जा सकता है। दिल्ली से लेकर भोपाल तक उम्मीदवारों के चयन को लेकर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। भाजपा विधानसभा चुनाव की तर्ज पर लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले अपने प्रदेश की 29 सीटों में से अधिकांश पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर सकती है। खासकर उन सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान पहले कर दिया जाएगा, जहां पर सांसद का टिकट काटकर दूसरे नेता को उम्मीदवार बनाया जाना है। वहीं मिशन 29 को लेकर भाजपा का सबसे ज्यादा फोकस कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा पर रहेगा,यहां किसी बढ़े नेता को पार्टी उम्मीदवार बना सकती है। माना जा रहा है कि पिछले लोकसभा चुनाव की ही तरह इस बार भी कई सीटों पर भाजपा इस बार फिर नए चेहरों पर दाव लगाएगी। इसके चलते ऐसे सांसदों के टिकट काटे जा सकते हैं जो तीन बार या उससे अधिक से लोकसभा के सदस्य हैं। प्रदेश में इस क्षेणी में 4 सांसद आ रहे हैं। जिसमें दो केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं।

नाथ को घेरने की तैयारी
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में भाजपा का परचम लहराने के लिए पार्टी इस बार ज्यादा फोकस कर रही है। इस सीट से कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ सांसद हैं। खासबात यह है कि मध्य प्रदेश गठन के बाद से इस सीट पर सिर्फ एक बार ही कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। तब पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को हराया था। यहां से कमलनाथ को घेरने के कई बार प्रयास हुए, लेकिन सफल नहीं हो सके। इस बार कांग्रेस के इस गढ़ को भेदने के लिए भाजपा अपने किसी बड़े चेहरे को यहां से उतार सकती है।

ये बन चुके तीन बार या उससे ज्यादा बार सांसद
टीकमगढ़ से सांसद एवं केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक 1996 से लगातार सांसद बन रहे हैं। वे सात बार के सांसद हैं। वहीं मंडला से सांसद एवं केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते 6 बार के सांसद हैं। कुलस्ते हाल ही में विधानसभा का चुनाव भी हारे हैं। सतना के सांसद गणेश सिंह भी 2004 से लगातार सांसद बन रहे हैं। वे चार बार के सांसद हैं। गणेश सिंह भी हाल ही में विधानसभा का चुनाव हारे हैं। धार लोकसभा से सांसद छतर सिंह दरबार तीन बार के सांसद रह चुके हैं। हालांकि वे पहली बार 1996 में सांसद बने थे, इसके बाद वे 2004 और फिर 2019 में वे सांसद बने।

Back to top button